Monday, April 5, 2010

सेक्सी कहानियाँ मेरी निशा (प्यारी दीदी) --4

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मेरी निशा (प्यारी दीदी) पार्ट--4

तीन घंटे सोने के बाद मैंने दीदी को जगा दिया दीदी ने आँखे खोली और करीब पाच मीनट तक ऐसे ही देखती रही मैंने निशा के माथे को फिर चूम लिया और फिर निशा धीरे से उठी और फिर बिना कुछ कहे चली गयी थोडी देर बाद अनु भी आ गयी और आते ही सीधे मेरे कमरे में आ गयी और मेरे हालचाल पूछने लगी अनु ने रोना शुरू कर दिया मैंने उसे गले से लगाया और चुप कराने लगा निशा दीदी ने खाना तैयार किया और सबने मेरे कमरे में ही खाना खाया रात को नींद की गोली की वजह से मुझे कुछ होश नहीं रहा सुबह जब अनु चली गयी तब दीदी मेरे रूम में आई और मेरी ड्रेसिंग करने के लिए कहने लगी मैंने पजामा पहना हुआ था मैंने पजामा निकाला और लेट गया दीदी मेरी ड्रेसिंग करने लगी मैंने नोट किया दीदी टेढी नजर से मेरे लंड को देख कर मुस्कुरा रही थी मैंने दीदी से पुछा की दीदी क्या आप नहा ली तो उन्होंने कहा नहीं अभी नहीं मैंने कहा आप नहा कर मेरे कमरे में आ जाना और बाल यहाँ बना लेना तो दीदी बोली ठीक है पहले ड्रेसिंग तो कर दूं और ड्रेसिंग करने के बाद दीदी चली गयी और में कुरता उठा कर अपने लंड को देखने लगा मैंने पजामा जान बूझ कर नहीं पहना निशा दीदी नहा कर तोवेल में ही मेरे कमरे में आई और मेरे बाजू में बैठ गयी निशा दीदी की चिकनी जांघो को देखते ही मेरा लंड फिर से तन गया निशा दीदी ने मेरे कुरते में टेंट बने हुए देख लिया था लेकिन को फिर भी बैठी बैठी बाते करती रही जब निशा दीदी जाने लगी तो मैंने उनका हाथ पकड़ के चूम लिया इस पैर दीदी बोली ये किसलिए तो मैंने कहा आपने मेरी इतनी हेल्प की इसलिए अब तो निशा दीदी को पूरा यकीन हो चूका था की में उनकी चिकनी और गोरी गोरी जांघो को देखता हूँ और मुझे भी यकीन हो गया था की दीदी भी तिरछी नजरो से मेरे लोडे को देखती है लेकिन हम दोनों में कुछ करने का होसला नहीं हो रहा था इसी तरह एक हफ्ता बीत गया और मैं लगभग ८० परसेंट ठीक हो गया था लेकिन अभी भी ड्रेसिंग दीदी के हाथो ही करवाता था आज भी दीदी नहा कर सीधे मेरे रूम में आई और मेरे पजामे को खोलने के लिए बोली मैंने सिर्फ नादा खोल दीदी तो दीदी ने मेरे हिप्स उपर उठाने को कहा मैंने जैसे ही अपने हिप्स उपर उठाये उन्होंने पजामा नीचे खीच लिया और मेरा ताना हुआ लौडाउनकी आँखों के सामने था मैंने मेरी नजरो को दूसरी और कर लिया जिससे दीदी को लगा की मुझे पता नहीं चला और वो कुछ देर और मेरे तन्नाये हुए लौडे को देखती रही उनकी साँसे बहुत जोर से उपर नीचे हो रही थी कभी कभी में तिरछी नजरो से उनके उपर नीचे होते हुए बूब्स को देख रहा था और जैसे ही में उनकी और देखता मेरा लौडा और तन जाता दीदी ने बिना मेरे लौडे को ढके मेरी ड्रेसिंग करने लगी आज तो मुझे यकीन हो गया था की उनकी चूत भी कुलबुला रही है

निशा दीदी ड्रेसिंग कर के उठने लगी तो मैंने उनका हाथ पकड़ लिया और बोला दीदी बैठो न थोडी देर बाते करते है इस पर दीदी बोली मेरे को और भी बहुत काम है मैंने उनसे रिक्वेस्ट की कि थोडी देर बैठ जाओ तो वो बोली क्यों तुम्हे आज मुझसे ऐसा क्या करवाना है दीदी के मुह से यह सुन कर मेरे लंड ने एक बार और झटका मारा जो कि दीदी ने भी साफ़ साफ़ महसूस किया और हौले से मुस्कुरा दी मैंने कहा करवाना तो कुछ भी नहीं है सिर्फ बाते करनी है तो दीदी बोली वो तो हम शाम को भी कर सकते है मैंने उनका हाथ पकडे हुए उनकी जांघो पर रख दिया और बोला शाम तो बहुत दूर है मुझे तो अभी बाते करनी है तो दीदी बोली ये इतनी अर्जेंट कौन सी बात है जो अभी करनी है मैं बोला अर्जेंट तो नहीं लेकिन शाम को मूड नहीं रहेगा तो दीदी बोली अच्छा छोड़ तो में दुसरे कमरे में सामान रख कर आती हूँ मैंने उनका हाथ जोर से पकडा और कहा ये बाद में रख देना इस पैर दीदी बोली यश चिंता मत करो में ऐसे ही वापस आउंगी में उनका मतलब समझ गया था वो तोवेल में ही वापस आने कि बोल रही थी

निशा दीदी से कमरे से निकलते हुए कुछ सामन नीचे गिर गया और वो उसे उठाने के लिए जैसे ही नीचे झुकी तो उनकी पेंटी मुझे साफ़ साफ़ नजर आ रही थी और यारो यह वही पेंटी थी जो मैंने उन्हें दी थी और मुझे ये याद आया कि इस बारे में तो में भूल ही गया था चोट के चक्कर में पाच मीनट के बाद दीदी वापस आई वो अभी भी तोलिये में ही थी में बहुत खुस हुआ दीदी आ के मेरे पास मेरी तरह टाँगे फैला के मेरी तरह बैठ गयी और बोली हां अब बोलो कौनसी ख़ास बात करनी है

मैं बोला दीदी में आप को धन्यवाद बोलना चाहता हूँ दीदी बोली किस बात का यही कि आपने पूरे एक हफ्ते कितनी हेल्प कि दीदी पहले तो हँसी फिर बोली तो चलो बोलो, तो मैंने कहा कि बोल कर नहीं दीदी आपको गले लगा कर अच्छा तो मेरा रजा भैया मुझे गले लगा कर थैंक्स बोलना चाहता है और बोली चलो आओ इस पर में बहुत खुस हुआ और उनको गले से लगा लिया दीदी ने अपने सर मेरे कंधे पर रख लिया मैंने दीदी को अपने हाथो से टाइट जकड लिया मैंने दीदी का हाथ पकडा और उनके माथे पैर किस किया दीदी मेरे साथ इस तरह लेटी थी कि उनका सर मेरे कंधे पर और हम दोनों का मुह आमने सामने था उनकी जांघे मेरे जाघों से टच हो रही थी टेढा सोने कि वजह से मेरा कुरता थोडा ऊपर हो गया था मैंने उसे नीचा करने कि कोई कोशिस नहीं कि और मुझे लगा सायद दीदी उसे अपने पेट पैर महसूस कर रही होगी

निशा दीदी कि नंगी जांघे जब जब मेरे जांघो को छु रही थी तब तब मेरा लंड और तन्ना जाता था निशा दीदी सब देख रही थी मैंने दीदी को तीन चार बार किस किया उनके माथे पे और कहा दीदी धन्यवाद दीदी ने भी मुझे किस किया और कहा बस हो गया थैंक्स अब मुझे जाने दो मैंने दीदी को छोडे बिना कहा ठीक है दीदी उठने लगी तो मैंने दीदी से कहा दीदी क्या मैं आपसे एक बात पूछ सकता हूँ अगर आप नाराज न हो तो दीदी उठते हुए बोली क्या है मैंने कहा दीदी आपको मेरा गिफ्ट कैसा लगा दीदी का चेहरा शर्म से लाल हो गया आज उनके चेहरे पे कोई गुस्सा नहीं था बल्कि शर्म कि लाली थी दीदी कुछ नहीं बोली और बाहर चली गयी दीदी के बाहर जाते ही मैंने अपने लंड को सम्हाला उसकी हालत तो ऐसे हो रही थी जैसे कि अभी इसके हजार टुकड़े हो जायेंगे और इसमें से ज्वालामुखी फट जाएगा में गेट कि और पीठ करके मुठ मारने लगा और दीदी कि गांड के बीच फसी मेरी दी हुई पेंटी को याद करने लगा में तेज तेज हाथ चला रहा था कि दीदी के आने से पहले ही शांत हो जाऊ और कुछ ही समय में मेरे अन्दर का लावा बहार निकलने लगा और इतने में मुझे अहसास हुआ कि दीदी जैसे गेट पर कड़ी है मेरी गांड पैर से कुरता हटा हुआ था और मैं झटके मार रहा था मैंने भी बेसरम होते हुए अपनी गांड को ढकने कि कोई कोशिश नहीं कि और दीदी कि और भी नहीं देखा

और में सोने कि एक्टिंग करने लगा निशा दीदी मेरे पीछे आ के खड़ी हो गयी और मेरी नंगी गांड को घूरने लगी और मेरे आगे कि गन्दी हो चुकी बेडशीट को देखने लगी मुझे ऐसा लगा कि जैसे दीदी ने अपनी चूत को खूब जोर से मसला और एक हल्की सी आ भरी और फिर दीदी ने सँभालते हुए कहा कि यश में हॉस्पिटल जा रही हूँ में सीधा हो गया और जो मैं चाहता था वह हो चूका था मैंने दीदी को कहा दीदी क्या आप जल्दी आ सकती हो तो दीदी ने कहा कि देखूँगी अगर काम ज्यादा नहीं हुआ तो आ जाउंगी दीदी बाहर जाने लगी तो मैंने दीदी का हाथ पकड़ कर पुछा दीदी आपने मेरे सवाल का जवाब नहीं दिया दीदी क्या आपने वह पहन के देखे है मुझे मालूम था कि दीदी वह पहन चुकी है फिर भी में उनके मुह से सुनना चाहता था दीदी बोली मुझे अभी देर हो रही है आ कर बात करते है दीदी के चेहरे पर फिर से वही शर्म कि लाली छा गयी थी और दीदी बाहर चली गयी में पीछे से उनकी गांड के दोनों गोलों को देखर रहा जब तक वो आँखों से ओझल नहीं हो गए

लगभग ढाई बजे डोर बेल बजी मैंने उठ कर दरवाजा खोला तो आज मोसम बड़ा ही सुहाना था सामने दीदी खड़ी थी मैं उनको देख कर बहुत ही खुश हुआ उन्होंने अपने बैग को टेबल पर रखा और फ्रेश होकर मेरे कमरे में आ गयी हम दोनों बाते करने लगे निशा दीदी का दुपट्टा उनकी गोद में था और उनकी घाटी साफ़ साफ़ दिखाई दे रही थी उनमें से मुझे फिर वही मेरी लायी हुई ब्रा मुझे दिखाई दी मैंने सोचा चलो अब एक बार और पूछ के देखता हूँ लेकिन जैसे ही दीदी ने मुझे अपनी घाटी को घूरते देखा वह बिना कुछ कहे दुसरे कमरे में चली गयी और में अपने आप को कोसता रह गया मोसम इतना हसीं हो रहा था कि ८० साल के बुद्धे कि लुल्ली भी ऐसे मोसम में ऐसे तन जाए जैसे कि वियाग्रा कि गोली खा ली हो और मेरा तो हाल वैसे ही खराब था आप लोगो को क्या बत्ताऊँ और सायद मोसम का ही असर था कि निशा दीदी फिर से मेरे कमरे में आई और बोली चलो बाहर चलते है मैं निशा दीदी का हाथ पकड़ कर घर के पीछे वाले लॉन में आ गया हम वहा घास पर बैठ कर बाते करने लगे मैंने निशा दीदी का हाथ अभी भी पकड़ रखा था निशा दीदी ने इस समय दुपट्टा नही लगाया हुआ था सायद अन्दर ही छोड़ आई थी और वो मेरे बहुत ही नजदीक बैठी थी में उनकी चिकनी चिकनी मस्त घाटी को बाते करते करते देख रहा था कि तभी अचानक जोर से बारिस आ गयी मैं उठने लगा तो दीदी बोली यश आज बारिश में नहाते है में सिर्फ आज बारिस का एन्जॉय करने के लिए आई हूँ हम दोनों घास पर चलने लगे कपडे गीले होने कि वजह से निशा दीदी का एक एक कटाव सपष्ट दिखाई दे रहा था और में सोचने लगा कि अपने मम्मे तो बार बार ऐसे नजदीक से दिखा रही है और कह रही है कि में सिर्फ बारिस में नहाने आई हूँ बस एक बार तुम नीचे आ जाओ अछि तरह नहला दूंगा मैंने निशा दीदी को कंधो से पकड़ के अपने साथ लगा लिया हम लोग लगभा आधे घंटे तक बारिस में नहाते रहे और जब बारिस रुकी तो हम कमरे में आ गए
में भी दीदी के साथ उनके कमरे में ही चला गया मैंने दीदी का हाथ पकडा और बोला दीदी बताओ न क्यों सता रही हो दीदी बोली क्या यश क्या बत्ताऊँ में दीदी के गालो को लाल होते हुए साफ़ साफ़ महसूस कर रहा था और दीदी ने बोला कि कहा सता रही हूँ तो में बोला मेरी गिफ्ट आपको कैसी लगे दीदी बोली बहुत खूबसूरत और हल्के से मुस्कुराई मैं बात को और आगे बढ़ाना चाहता था फिर मैं बोला दीदी अगर साइज़ या कलर सही नहीं आया हो तो मुझे बता देना में बदलवा लाऊँगा दीदी मुस्कुराते हुए वाशरूम में गयी और तोलिये को लपेट कर आ गयी और बोली तुम ने कपडे चेंज नहीं करने है क्या , मेरा अपने कमरे में जाने को दिल नहीं हो रहा था दीदी बोली में ला देती हूँ जखम गीला होने कि वजह से मेरी टांग में दर्द हो रहा था जब दीदी मेरे कपडे लेके आई तो मैंने दीदी को कहा तो दीदी बोली लगता है जखम गीला हो गया होगा तुम बैठो मैं अभी ड्रेसिंग कर देती हूँ में अपना पजामा निकाल कर और कुरते को थोडा पहला कर दीदी के बेड पर बैठ गया दीदी भी मेरे पास बैठ गयी और जैसे ही दीदी ने मेरे मेदिसेन लगाईं मुझे बहुत दर्द हुआ और मैंने न चाहते हुए भी दीदी कि चिकनी और गोरी गोरी जांघो को कास कर पकड़ लिया निशा दीदी मेरे जखम पैर ड्रेसिंग करने के बाद उसी बेड पैर लेट गयी और मेरे कंधे पर अपना सर रख कर मेरे बालो में अपना हाथ फेरने लगी

मैंने निशा दीदी को अपने साथ लगा के उनके माथे पे किस करने लगा दीदी ने मेरी छाती पे अपने हाथ रख दिए सीधे लेते होने कि वजह से दीदी को मेरा तम्बू साफ़ दिखाई दे रहा था दीदी कुछ देर बाद बोली यश बहुत अछे है में बोला क्या दीदी तो दीदी बोली तुम्हारे अंडर गारमेंट्स तो में बोला दीदी वो तो में पहनता ही नहीं इस बार दीदी जोर से हँसी और बोली वो तो मुझसे ज्यादा अब और कौन जानता है लेकिन मैं जो तुमने मुझे दिए है उनकी बात कर रही हूँ में यह सुन कर बहुत खुश हुआ और एक बार फिर से दीदी के माथे पैर एक चुम्बन अंकित कर दिया मैंने पुछा दीदी आप को कौन सा अच्छा लगा तो दीदी बोली सब्भी अच्छे है हालाकि में ये जानता था कि दीदी मेरे लाये हुए चड्डी और ब्रा को पहन चुकी है फिर भी में बात को आगे बढ़ते हुए बोला कि दीदी आप कब पहनोगी तो दीदी बोली यश अगर में पहन भी लूंगी तो तुम्हे कौन से नजर आयेंगे ऐसे बोल कर दीदी ने मेरी और करवट ली और मेरी जांघ पैर अपनी एक जांघ मेरे लंड से धोदे ही नीचे रख दी दीदी कि नर्म मुलायम और चिकनी जांघो को महसूस करते हुए मैंने मन ही मन सोचा कि ए हुस्न परी ऐ नाजनीन, ए मल्लिकाए हुस्न मेरी जान नजर तो मुझे आ चुके है लेकिन में तो तुम्हारे हुस्न कि वो लाली और आँखों में वो हया(शर्म) देखना चाहता हूँ जब तुम मुझे बताओगी कि आज मैंने पहने हुए है यारो मुझे सायरी नहीं आती लेकिन आज यह अचानक मेरा मन साय्राना कैसे हो गया लगता है पुराने लोगो कि कही बात एकदम सही है कि इश्क सब सिखा देहा है लेकिन मैं बोला दिखेंगे तो नहीं लेकिन आप बताओगी ना
दीदी बोली ठीक है बाबा बता दूंगी इसी बात पैर मैंने झट से दीदी के गालो को तीन चार बार चूम लिया कितने गोल गोल गाल थे दीदी के (नीचे फोटो भी दे रहा हूँ दीदी के गालो कि ) गालो के चुम्बन का प्रथम अहसास में तो यारो हवा में उड़ने लगा लंड जोर जोर से झटके मारने लगा जैसे दीदी के जिस अंग पे भी टच हो जाए वही एक छेद कर देगा (इसी बात पर एक बात याद आई एक बार चूत और लुंड में द्वंद हो रहा होता है और यारो एक बात और है हमारे लंड को खमंड भी बहुत हो जाता है इसी घमंड में बोला चूत चूत तुझे इतना चोदु चोद चोद के गडडे खोदु चूत तो इस सृष्टी कि जननी है उसे अपने पर क्यों घमंड होगा वह तो सालीन है लंड को उसकी औकात बताना जानती है और बड़े ही प्यार से बोलती है एय लंड नादान तुने देखा नहीं मैदान अकड़ के आते है और सुकड़ के जाते है ) अभी में दुबारा किस करने वाला ही था कि डोर बेल बजी दीदी घबरा गयी मैंने जल्दी से दीदी के गाल पे किस किया और दीदी को बाथरूम जाने को कहा और खुद पजामा पहन कर गेट खोलने चला गया गेट पर अनु थी हम अन्दर आये और बाते करने लगे इतने में दीदी भी आ गयी अनु ने पुछा दीदी आप आज जल्दी आ गयी तो निशा दीदी बोली कि आज मेरे तबियत कुछ ठीक नहीं थी और मेरी और देख कर मुस्कुराने लगी में बाहर आ कर सोफे पर लेट कर टीवी देखने लगा अनु भी मेरे साथ लेट गयी जगह कम होने कि वजह से मुझे अनु को कमर से पकड़ कर सहारा देना पड़ा
ताकि वो नीचे न गिर जाए अनु ने अपना सर मेरे कंधे पर रख दिया मैंने उसे अपनी और खीचा तो उसने अपनी टाँगे मेरी टांगो के ऊपर रख दी अनु के साथ मैंने ऐसा वैसा कुछ नहीं सोचा था सिर्फ कभी कभी उसके गालो पे किस कर लेता था और उसके चुतड पैर भी हाथ फेर लेता था अनु ने कभी कुछ नहीं कहा था मैं अनु कि कमर पैर हाथ फेर रहा था इतने में दीदी आ गयी और दीदी मुझे घूर कर देखने लगी शायद दीदी को जलन हो रही थी कि मैंने अनु को अपने साथ लिटा रखा है
एक बात और वो कहते है न कि दिन में एक बार आपकी जुबान पैर सरस्वती बैठती है और उस समय आप जो कहोगे वह सच हो जाता है सायद दीदी के साथ भी वही हुआ बारिस में ज्यादा देर भीगने के कारण उनको रात तक बुखार हो गया और रात में जा सब लोग सो गए तो में चुपके से उनके कमरे में गया और उनके बेड के पास बैठ गया
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा

(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj































































































































































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