Saturday, June 12, 2010

बुझाए ना बुझे ये प्यास--18

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बुझाए ना बुझे ये प्यास--18

प्राची ज़मीन पर सोफे का सहारा लेकर बैठ गयी और अपनी टाँगे
फैला महक के सिर को अपनी चूत पर जूहका दिया, "अब मेरी चूत
चूसूओ समझी."

महक की समझ मे नही आया की वो क्या और कैसे करे.... किसी चूत
चूसना तो दूर उसने तो आज तक किसी लड़की या औरत चूत को छुआ
भी नही था... आख़िर मान पक्का कर उसने अपना चेहरा प्राची की
चूत पर झुका दिया.

ठीक उसके नाम की तरह प्राची की चूत से आती महक उसे मदहोश
कर रही थी.. उसने अपनी जीब निकाली और उसकी चूत को चाटने
लगी... फिर उसकी चूत की पंदखुड़ियों को अपने होहटों मे फँसा
चूसने लगी... प्राची के मुँह से सिसकारी निकाल पड़ी... उसके सिसकी
सुन वो अपनी जीब को जोरों से उसकी चूत पर घिसने लगी.

साली बूढ़ी रॅंड चूवस मेरी चूत को चूस ऐसे ही चूस." प्राची
सिसकते हुए बोली.

महक पूरे मान से उसकी चूत को चूसने लगी.... उसकी खुद की चूत
मे आग लगी हुई थी..... उसे चूत चूसने मे मज़ा आ रहा था....
वो ज़ोर ज़ोर से उसकी चूत को मुँह मे भर चूसने लगी. उसकी चूत को
अपनी उंगलियों से फैलते हुए उसने अपनी जीब अंदर घुसा दी.. और
फिर जीब को अंदर बाहर कर उसे चोदने लगी.

प्राची वैसे कई लड़कियों से अपनी चूत चूस्वा चुकी थी लेकिन
महक जिस तरह उसकी चूत को चूस रही थी उसे बहोत मज़ा आ रहा
था और उसकी चूत पानी छोड़ने के लिए तय्यार थी. उसने देखा की राज
अपने लंड को मसालते हुए उन दोनो को ही देख रहा था... तभी उसके
मान मे एक ख़याल आ गया.

"चल रांड़ अपनी गॅंड को हवा मे उठा दे... तुझे राज का लंड अपनी
गॅंड मे चाहिए है ना?"

प्राची की चूत चूस्ते हुए वो घुटनो के बाल हो कर अपनी गॅंड हवा
मे उठा दी.

राज का लंड पूरी तरह से तन कर खड़ा था... वो महक के पीछे
आया और अपने लंड को उसकी चूत मे घुसा दिया.... थोड़ी देर लंड को
अंदर बाहर करने के बाद उसने जब देखा की लंड महक की चूत के
रस से पूरी तरह गीला हो गया है.. तो उसने लंड को बाहर निकाला
और उसकी गॅंड के छोटे छोटे छेड़ पर रख दिया. धीरे धीरे
धक्के लगते हुए उसना पूरा लंड उसकी गॅंड मे घुसा दिया.

दर्द के मारे उसके मुँह से कराह निकाल पड़ी.. लेकिन मुँह प्राची की
चूत पर दबा होने से वो सिर्फ़ 'गुणन्ं' कर के रह गयी. उसकी चूत
वैसे ही झड़ने वाली थी उसपर गॅंड मे लगते धक्कों ने उसे और
उत्तेजित कर दिया.... वो ज़ोर ज़ोर से प्राची की चूत चूसने लगी...
राज उसकी कुल्हों को पकड़ तेज़ी से अपने लंड को अंदर बाहर कर रहा
था.

महक की चूत पूरे तूफान पर थी... उसने अपने कूल्हे पीछे खिसका
उसके लंड को और अंदर तक अपनी गॅंड मे ले लिया.... और उसकी चूत
ने पानी छोड़ा तो उसका बदन जोरों से कांप उठा.

राज पूरी उत्तेजना मे अपने लंड को अंदर बाहर कर रहा था ....उसके
कुल्हों पर चपत जमाते हुए वो उसकी गॅंड मारने लगा ...जब उसके लंड
ने पानी छ्चोड़ दिया तो उसने लंड बाहर निकाल लिया....

प्राची को भी चूत चूसवाने मे बहोत मज़ा आ रहा था उसकी चूत
भी पानी छोड़ना चाहती थी... लेकिन उसे महक के साथ गंदी बातें
करने मे बहोत आनंद आ रहा था.. वो एक बार फिर शुरू हो गयी.

"रांड़ ज़रा अपनी तरफ देख... तेरी गॅंड से राज का वीर्या कैसे तपाक
रहा है.... और तुम्हारा मुँह मेरी चूत मे घुसा हुआ है.... तू
सही मे रंडी है... चूस मेरी चूत को जोरों से चूस... हाआँ
जोरों से चूवस रुकना मत.... ऑश हाआँ चूस जोरों से चूवस खा
जा मेरी चूत को.... ओह भगवान.." और जैसे किसी नदी बाँध खुल
जाता है उसकी चूत पनी पर पानी छोड़ने लगी.

जैसे ही प्राची की चूत का रस महक के मुँह मे घुसा वो चटकारे
लेकर उसे पीने लगी.. अपनी जीब घूम घूमा कर चाटने लगी...
थोड़ी ही देर मे वो निढाल हो कर ज़मीन पर पसार गयी... और अपना
सिर प्राची की जांघों पर रख किसी बची की तरह अपनी साँसे
संभालने लगी.

"मुझे पता है की ये तुम्हारा पहला मौका था की किसी लड़की की चूत
चूसने का लेकिन तुमने अछा कम किया... मुझे लगता है की हमे
जल्दी ही मिलना पड़ेगा जिससे में तुम्हे और बहोत कुछ सीखा सकूँ."
प्राची ने महक से कहा.
"शुक्रिया तुम बहोत आक्ची हो." महक ने कहा.

थोड़ी ही देर मे राज और प्राची अपने अपने कपड़े पहन जाने को तय्यार
थे.... जब वो जाने लगे तो प्राची महक के नज़दीक आई और उसके
कान मे फुसफुसा, "मेरी प्यारी रॅंड हम जल्दी ही मिलेंगे... मेरे
कुछ दोस्त है जो तुमसे मिलना चाहेंगे." फिर उसे आँख मारते हुए वो
राज के साथ चली गयी.

* * * * * * * * * *

थोड़े दिन बाद महक का पति फिर एक बार सहर के बाहर चला
गया... महक अपने आप को बहोत अकेला महसूस कर रही थी.... क्तचें
के टेबल पर बैठे वो अपने साथ बीती घटनाओं को याद कर रही
थी.... वो अपने इस नई अनुभव को..ऽने नई दोस्तों के राज को किसी
के साथ बाँटना चाहती थी... लेकिन डरती थी की कहीं उसका ये राज़
उसके पति को ना पता चल जाए... फिर खड़े हो कर वो अपने कमरे
मे आ गयी और कुछ रिपोर्ट तय्यार करने लगी जो उसे क्लब मे रजनी को
देनी थी.

थोड़ी देर बाद वो रिपोर्ट तय्यार कर ही रही थी की दरवाज़े पर
दस्तक हुई.. उसने दरवाज़ा खोला तो देख की रजनी खड़ी थी.

"यहाँ से गुज़र रही थी तो मेने सोचा की रिपोर्ट क्यों ना में ही
लेती जाती जायों नही तो तुम्हे क्लब आने की तकलीफ़ उतनी पड़ती."
रजनी ने कहा.

"बहोट अछा किया... आओ अंदर आओ.." महक ने कहा... "तुम सोफे पर
बैठो में रिपोर्ट लेकर आती हून." कहकर वो अपने कमरे मे चली
गयी.

लौटकर महक ने रजनी को कोफ़ी के लिए पूछा जिसके लिए उसने हन
कर दी.. कॉफी पीते हुए दोनो बातें करने लगी.

बातों के दौरान महक ने देखा की रजनी ने एक छोटी स्कृत पहन
रखी और उसकी पतली और चिकनी टाँगे सॉफ दीखाई दे रही
थि....Mएहक की आँखे उसकी टाँगों के बीच खो गयी...

आज से पहले उसके दिल मे कभी किसी औरत को लेकर ख़याल नही आया
था लेकिन जबसे प्राची के साथ जो कुछ हुआ था उसका दिल सब कुछ
सोचने लगा था... वो सोचने लगी की रजनी की चूत कैसी लगती
होगी.. उसकी चूत पर कितने बॉल होंगे... या फिर उसने अपनी चूत
सफाचत की हुई होगि....वो सिर्फ़ सोच भर से ही गर्माती जा रही
थी..

"कहाँ खो गयी महक...?" उसे रज़ीनी की आवाज़ सुनाई दी.

महक की सोच टूटी, "माफ़ करना रजनी.... तो तुम क्या कह रही थी?"

"ये क्या हो गया है तुम्हे आजकल," रजनी ने पूछा, "में देख रही
हूँ की क्लब मे भी आजकल तुम बात बात पर कहीं खो जाती हो."

महक की समझ मे नही आया की वो क्या जवाब दे... वैसे वो दिल से
तो अपने राज़ को किसी के साथ बाँटना चाहती थी... लेकिन दिल ही दिल
मे उसे डर भी लग रहा था... वो अपने सीने मे इस बोझ को ज़्यादा दिन
नही धो सकती थी.. और अगर कोई उसकी मजबूरी और परिस्थिति को
समझ सकता था वो सिर्फ़ रजनी थी.. उसकी समाज मे इज़्ज़त भी थी और
लोग उसे बहोत मानते भी थे.... फिर थोड़ी देर सोच कर उसने धीरे
से कहा.

"रजनी जो में तुम्हे बताने जा रही हून.. क्या इस बात को तुम अपने
तक ही रख सकोगी....?"

"हां क्यों नही... " रजनी ने उससे वाडा क्या, वो समझ रही थी आज
फिर उसे किसी के बारे मे कुछ जानने को मिलेगा.. पर उसे उमीद नही
थी की महक उससे खुद के बारे मे बात करेगी.

"आज कल मेरा किसी के साथ चक्कर चल रहा है." महक ने कहा.
उसे लगा की उसके सीने से ढेर सारा बोझ उत्तर गया. कुछ मिनिट तक
शांत रहने के बाद उसने रजनी को बताया की कैसे उसीके बेटे के
दोस्त ने उसे बहकाया और वो कैसे अपनी जिस्मानी कमज़ोरियों के आगे
बहकति चली गयी... राज कितना अक्चा प्रेमी है.. उसकी हर ज़रूरत
और इक्चा का कैसे ख़याल रखता थ....कैसे उसने उसे वो सब कुछ
सीखया और बताया जो उसका पति इतनी साल की शादी शुदा जिंदगी
मे भी नही सीखा पाया.

महक की बात सुनकर रजनी तो चौंक गयी उसे तो विश्वास ही नही हो
रहा था की.... महक जैसे सीधी और शादी शुदा औरत का अपने से
आधे उमरा के लड़के के साथ जिस्मानी संबंध.... ..वो सोचने लगी...
दोनो प्यार करते हुए कैसे लगते होगे... वो राज के बारे मे और जानना
चाहती थी... "मुझे सब कुछ बताओ.. कब कैसे और कहाँ ये सब
कुछ हुआ."

महक उसे शुरू से सब बताने लगी.. उसे एक एक बात खुल कर
बताई... फिर उसने बताया की किस तरह वो उसे गंदी गंदी बातें
कर उत्तेजित करता रहता है.

"जब वो तुमसे ऐसी बातें करता है तो क्या तुम्हे अक्चा लगता है?"
रजनी ने उसकी बात सुनकर पूछा.

"हां मुझे बहोत अछा लगता है.. कभी कभी तो उसकी बात सुनकर
में इतनी उत्तेजित हो जाती हून की क्या बतौन.' महक ने जवाब दिया.

"ऐसा क्या कहता है वो तुमसे..?" रजनी ने फिर पूछा.

"उसे मुझे छीनाल कहने मे बहोत मज़ा आता है.. कहता है की में
उसकी ब्यहता रॅंड हूँ... और सब बातों से में गरम हो जाती हून."

राज़ी महक की बाें सुनने मे वो सोफे पर थोड़ा आराम से बैठ गयी
थी और इतनी मशगूल थी की उसे पता ही नही चला की कब उसकी टाँगे
फैल गयी थी.. तभी महक ने उसे प्राची के बारे मे बताया.

"वो तो राज से भी बड़ी शैतान है.. वो बार बार मुझे छीनाल रांड़
बुलाती रही... में बता नही सकती की में कितना गरमा गयी थी..
उसकी नशीली आवाज़ सुनकर... फिर उसने मुझे उसकी चूत चूसने को
कहा जिसे मेने चूसा और मुझे बहोत अक्चा लगा..." महक ने
बताया.

रजनी को एक बार फिर विश्वास नही हुआ, "क्या तुमने उस लड़की की चूत
छाती और चूसी..?" रजनी ने पूछा. रजनी खुद कई बार ऐसा कर
चुकी थी लेकिन महक भी ऐसा कर सकती है इस बात पर उसे विश्वास
नही हुआ, "मेी विश्वास नही करती."

रजनी उसे सवाल किए जा रही थी और महक उसके जवाब दिए जा रही
थी.... तब उसने देखा की रजनी की टाँगे और फैल गयी.. उसकी नज़र
जांघों के बीच पड़ी तो वो चौंक पड़ी..... रजनी ने अंदर कोई
पनटी नही पहन रखी थी..... उसकी बिना बलों की चूत उसे सॉफ
दीखाई दे रही थी.

"रजनी तुमने अंदर पनटी नही पहन रखी है... सब दीखाई दे रहा
है." महक ने चौंकते हुए उससे कहा.

"में जब भी स्कर्ट पहनती हून तो अंदर पनटी नही पहनती...
लेकिन तुम मेरे स्कर्ट के अंदर झाँक कर क्या देख रही हो?" उसेन
महक को चिढ़ते हुए पूछा.

महक चोरी छुपे उसकी चूत को देख रही थी.. उसकी चोरी पकड़ी
गयी... उसने शर्मा कर अपनी नज़रे हटा ली.

"तुम सही मे छीनाल हो.. कोई मौका नही चूकती.." रजनी ने उसे फिर
चिढ़ते हुए कहा. महक की कहानी सुन राजनीन खुद गरमा गयी
थी.... उसने अपने आप को संभाला और मौका का फ़ायदा उठाने की
सोची...."महक क्या तुम मेरी चूत चूसना पसंद करोगी? कहकर वो
खड़ी हो गयी और अपनी स्कर्ट उपर उठा उसे अपनी चूत दीखने लगी.

रजनी के पूछने की देर थी की महक की चूत मे जैसे करेंट लग
गया हो... वो बूकी नज़रों से रजनी की चूत को देखने लगी... उसके
मुँह मे लार तपाक पड़ी जैसे की बिल्ली को दूध देख कर टपकती है.

रजनी फिर सोफे पर बैठ गयी और उसने अपनी टाँगे पूरी तरह फैला
दी..... उसकी चूत की पंखुड़ियों मे हरकत हो रही थी.. महक
समझ गयी की रजनी भी उत्तेजित है.....उस्कि चूत फूल कर गुलाबी
हो गयी थी और उस मे से रस छूने लगा था.

"क्या सोच रही हो महक.... में जानती हून की तुम मेरी चूत
चूसना चाहती हो.... आओ मेरे पास आओ और मेरी चूत को चूसो."
रजनी ने कहा.

महक ने मुकुराते हुए अपना चेहरा जुहिकाया और उसकी चूत पर अपनी
जीब रख दी... उसकी चूत की महक प्राची की चूत से थोड़ी अलग
थी.. लेकिन उसे अची लगी..... वो अपनी जीब से उसे चाट कर उसका
स्वाद लेने लगी.... उसने उसकी पंखुड़ियों को मुँह मे लिया जो प्राची
से बड़ी थी... और जोरों से चूसने लगी... रजनी सिसकने लगी...
और वो भी उसे गंदी बातें करने लगी.

"शैतान औरत... चूस मेरी चूत को... चाट मेरे रस को... तुम
बहोत ही अची चूत चूस्ति हो."

शब्दों ने जैसे जाड़ो कर दिया हो... वो ज़ोर ज़ोर से रजनी की चूत
को चूसने लगी.... रजनी ने महक के ब्लाउस को खोल उसकी चुचियों
को आज़ाद कर दिया जिससे वो उनके साथ खेल सके......

"चूस हाआँ ऐसे ही चूस ...काश क्लब के और मेम्बेर आज यहाँ होते
और देखते की हमारी सीधी साधी महक कैसे मेरी चूत को चूस
रही है मेरे रस को पी रही है... तुम्हे चूत का रस अक्चा लगता
है ना?"

महक ने अपनी गर्दन को हिला कर रजनी को जवाब दिया.

रजनी को भी मज़ा आ रहा था.... वो महक के निपल को भींचने
लगी.... उसकी चूत पानी छोड़ने ही वाली थी लेकिन वो अपनी चूत
थोड़ी और देर चूसवाना चाहती थी.... वो उसकी जीब और मज़ा और
लेना चाहती थी..

"हां चूस और ज़ोर से चूस ऑश हां चूस और मेरी चूत का पानी
छुड़ा पी जा. तू सही मे रांड़ है." रजनी सिसक सिसक उसे उकसाने
लगी.

महक को मज़ा आ रहा था.. वो और तेज़ी से अपनी जीब को चलाने
लगी... उसकी चूत को मुँह मे ले चूसने लगी... उसे प्राची की चूत
से ज़्यादा रजनी की चूत चूसने मज़ा आ रहा था..

महक खुद गरम हो गयी थी.. उसकी चूत मे खुजली मच रही थी..
रजनी की चूत चोस्टे हुए उसने अपना हाथ नीचे किया और अपनी चूत
को मसालने लगी.. रजनी ने ये देखा तो बोली.

"रंडी साली अपनी चूत से खेल रही है.. पहले मेरी चूत को
चूस.. उसे जोरों से काट छीनाल."

रजनी ने जैसा कहा महक वैसे ही करने लगी.. रजनी की चूत
झड़ने ही वाली थी.. उसने जोरों से महक के निपल को भींचने
लगी.. तभी उसकी चूत ने पानी चोद दिया.... महक का मुँह उसके
पानी से भर गया... पानी चोद्ते हुए रजनी काँपने लगी....

"हां छीनाल हाआँ मेरी चूत पानी छोड रही है... पी जा सारा
पानी ऑश सब पी जा."







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