Saturday, June 12, 2010

बुझाए ना बुझे ये प्यास---01

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बुझाए ना बुझे ये प्यास---01
हेल्लो दोस्तों मैं यानि आपका दोस्त राज शर्मा एक और नई कहानी
लेकर आपके सामने हाजिर हूँ ये कहानी कुछ ज्यादा ही लम्बी है
रजनी के साथ गुज़ारे वक्त के बाद महक की काम वासना इतनी बढ़
गयी थी की शांत होने का नाम नही ले रही थी... हर वक्त उसके
बदन मे आग लगी रहती थी. चुदाई के अलावा कुछ भी उसके दीमाग मे
नही था. हर वक्त वो सोचती रहती थी की कैसे अपनी आग को शांत
करूँ..

जब भी उसका पति तौर पर से वापस आता तो उसकी ये समस्या और बढ़
जाती... पहले वो मनाया करती थी की उसका पति टूर पर बाहर ना
जाए.. लेकिन अब वो कामना करती थी की वो जल्दी ही टूर पर चला
जाए...

रजनी के साथ बिताए दिन के कुछ दिन बाद उसका पति घर आया था..
उसने अपना समान भी नही रखा और महक को अपनी बाहों मे भींच
अपनी गोद मे उठा लिया और बेडरूम मे ले गया.... लेकिन हर बार की
तरह की इसके पहले की उसे मज़ा आना शुरू होता... वो एक हुंकार
भर उसकी छूट मे झाड़ गया... महक एक बार फिर प्यासी रह गयी...
वो उसके नंगे बदन पर से उठा और नहाने चला गया. .. दूसरे दिन
उसके पति ने उसे बताया की उसके बॉस ने उसे वादा किया है की अब एक
महीने तक वो उसे तौर पर नही भेजेगा.

इस बात को एक हफ़्ता बीत चुका था.. महक थी की अपनी काम अग्नि मे
जल रही थी. वो पागल हो रही थी.. उसकी समझ मे नही आ रहा
था की वो क्या करे.. अभी तीन हफ्ते पड़े थे उसके पति को टूर पर
जाने के लिए.... हन वो हस्तमैथुन कर कुछ देर के लिए अपनी
चूत की आग को शांत कर लेती थी लेकिन उसे एक मोटा और तगड़ा लंड
चाहिए था अपनी चूत मे... वो सोचने लगी की क्यों ना वो राज को
बुला ले... जब उसका पति सुबह काम पर चला जाएगा तो वो दिन मे
उससे चुड़वा सकती थी. .... उसने घड़ी मे देखा शाम के 5.00 बाज
चुके थे.. नही उनका आने का समय हो गया है.. में उसे फोन पर
बात कर कल का टाइम फिक्स कर लेती हूँ.... सोचते हुए उसने फोन
उठाया और राज का नंबर डायल किया.... जब वाय्स मैल आया तो बीप
के बाद उसने बोलना शुरू किया.

"हॅ जान कहाँ हो? देखो ना में कितना तड़प रही हूँ तुम्हारे
बिना... मेरी चूत को तुम्हारे लंड की ज़रूरत है... कल सुबह मेरे
पति के काम पर चले जाने के बाद क्या तुम आकर मेरी चूत की
प्यास बुझा सकते हो? शाम 6.00 बजे के पहले मुझे फोन करना
जिससे हम सब कुछ तय कर लेंगे." इतना कहकर महक ने फोन काट
दिया.

राज ने महक का मेसेज देख लिया था लेकिन वो जान बुझ कर 6.15
बजे तक रुके रहा.... महक किचन मे थी जब राज का फोन
आया.... उसका पति दूसरे कमरे मे कपड़े बदल रहा था... वो उससे
बात नही करना चाहती थी... पर डर रही थी की कहीं वो दोबारा
फोन करे ही नही... वो उससे मिलना चाहती थी... उसने फोन उठा
कर धीरे से कहा, "हेलो"

"कहो मेरी रांड़... अपने पति के बाहर जाने का भी इंतेज़ार नही कर
सकती इतनी चूत मे आग लगी हुई है क्या?' राज ने उसे चिढ़ाते हुए
कहा.

राज की आवाज़ ने ही उसे उत्तेजित कर दिया... उसकी चूत मे चीटियाँ
चलने लगी, "हां नही रह सकती... में तुमसे कल मिलना चाहती
हूँ.... क्या तुम आ सकते हो?" उसने पूछा.

"क्या तुम मेरा लंड चूसना चाहती हो?" उसने फिर उसे चिड़ाया.

"हन" उसने धीरे से कहा.

"क्या तुम चाहती हो की में तुम्हारी चूत मे लंड घुसा कर तुम्हे
चोदु?"

"हां हां." उसने थोडा उँची आवाज़ मे कहा.

राज अपनी बातों से उसे इतना उत्तेजित कर रहा था की उसकी समझ मे
नही आ रहा था की क्या करे... उसका दिल तो कर रहा था की वो वहीं
अपनी चूत मे उंगली डाल कर अपनी गर्मी शांत कर ले... लेकिन उसे
एहसास था की वो कहाँ है.. और उसका पति कपड़े बदल कर आता ही
होगा.. उसने अपने आप को संभाला और पूछा, "क्या तुम आ सकते हो?"

"वैसे तो मुझे काम है... लेकिन फिर भी में खाने की छुट्टी मे
एक घंटे के लिए आ सकता हूँ.. यही कोई 2.00 बजे."

महक ने फोन रखा ही था की उसका पति आ गया.

"फोन की घंटी बाजी थी ना... कौन था?" उसने पूछा.

"हां, रजनी थी." उसने जवाब दिया.. उसे पता था की इसके आगे वो
कोई सवाल नही पूछेगा.

"मुझे वो औरत बिल्कुल पसंद नही है... वो एक गंदे चाल चलन
की औरत है.. अमन (रजनी का पति) के इतने अच्छे नाम को उस क्लब मे
मिट्टी मे मिली रही है.. वो गैर मर्दों के साथ सोती है.. अगर तुम
उसका साथ छोड़ दो तो मुझे अछा लगेगा.. वरना लोग तुम्हे उसकी साथी
समझने लगेंगे." उसके पति ने कहा.

"अब चुप भी करो.. तुम्हे पता है की मुझे उसके साथ रहना पड़ता
है.. वो हमारी संस्था की हेड है.. " महक ने जवाब दिया.

"वो होगी तुम्हारी संस्था की हेड... लेकिन में नही चाहूँगा की मेरी
पत्नी इतनी गिरी हुई औरत से कोई संबंध रखे." अजय सहगल ने
अपनी पत्नी महक से थोड़ा खीजते हुए कहा.

महक के माथे पर पसीना आ गया... उसे डर लगने लगा की अगर
अजय को पता चल गया की वो जहाँ खड़ा है उससे दस कदम की दूरी
पर ही उसने रजनी के साथ सेक्स किया है तो क्या हॉंगा.. घबराई हुई
सी उसने कुर्सी खींची और उसे बैठ कर खाना खाने के लिए कहा.
अगले दिन सुबह महक जब सो कर उठी तो तो खुश थी और अपने यार
राज के स्वागत मे तय्यार होने लगी.. दोपहर के थोड़ी देर बाद ही
दरवाज़े पर दस्तक हुई.... महक ने लगभग दौड़ कर दरवाज़ा खोला
और राज को खींच कर घर के अंदर ले आई.. राज महक को उत्तेजित
कपड़े पहेने देख खुश हो गया..

"ओह्ह्ह मेरी छिनाल रांड़ आज अपने यार को खुश करने के लिए मरी
जा रही है...." राज ने कहा.

"हाआँ और क्या... कितना तड़पाते हो तुम.. कितना तदपि हूँ तुम्हारे इस
लंड के बिना..." महक ने उसके लंड को पॅंट के उपर से ही पकड़ा और
उसके सामने घुटनो के बल बैठ उसकी पॅंट की ज़िप नीचे कर उसके लंड
को बाहर निकल लिया... फिर अपने मुँह को 'ओ" का आकार दे उसे मुँहे मे
लिया और चूसने लगी... राज की शैतानी भारी बातें जारी थी.

"तुम्हे अपने पति से डर लगता है ना? इसीलिए मुझे दिन मे बुलाया
है..." राज ने पूछा.

महक ने उसके सवाल को नज़र अंदाज़ कर दिया और उसके लंड को ज़ोर ज़ोर
से चूस्ति रही...

"मेने तुम्हसे कुछ पूछा है... क्या तुम्हे डर लगता है की तुम्हारा
पति घर आकर तुम्हे इस तरह मेरा लंड चूस्ते पकड़ लेगा."

महक ने उसके लंड को अपने मुँह से निकाला और उसे मुट्ही भर के मसल्ने
लगी... फिर अपनी नज़रें उठा उसकी तरफ देख कर बोली, "मेरा पति
अभी शाम से पहले घर आने वाला नही है."

"हो सकता है नही आए... लेकिन ये भी तो हो सकता है की आज वो
घर जल्दी आ जाए... मुझे लगता है की हमे आगे नही बढ़ना
चाहिए... वरना तुम्हे परेशानी का सामना करना पड़ सकता है... "
इतना कहकर राज उससे पीछे खिसक गया और उसका लंड महक के
हाथों से फिसल गया.

महक राज की इस व्यवहार सा तोड़ा डर गयी.. "प्लीज़ मुझे तुम्हारा
लंड दे दो..... मुझे तुम्हारा लंड चाहिए अभी... मत रूको.."

"फिर तो इसका ये मतलब हुआ की तुम्हे तुम्हारे पति से बिल्कुल डर नही
लगता और तुम उसकी परवाह नही करती अगर वो आए तो आए." राज ने
फिर कहा.

महक के लिए तो राज का लंड प्राणो से बढ़कर था... उसके लंड के
लिए वो कुछ भी कह सकती थी कुछ भी कर सकती थी.. "हां मुझे
अपने पति की कोई परवाह नही.... बस तुम मुझे अपना लंड दे दो.."

राज ने अपने एक हाथ से उसके बालों को पकड़ अपने करीब खींचा और
दूसरे हाथ से अपने लंड को पकड़ उसके मुँह मे घुसा दिया.... फिर
ज़ोर ज़ोर तब तक उसके मुँह को चोदता रहा जब तक की उसका लंड किसी
सलाख की तरह सख़्त नही हो गया.

"चलो तुम्हारे बेडरूम मे चलते है.. में तुम्हे उसके पलंग पर
चोदना चाहता हूँ." राज ने कहा.

"नही हम वहाँ नही जा सकते हुए." महक ने कहा.

"में तो समझा था की तुम अगर पकड़ी भी गयी तो तुम अपने पति से
नही डॅरोगी." राज ने जवाब दिया.

महक अपनी ही बातों मे फँस गयी थी... उसे पता था की अगर उसने
राज की बात नही मानी तो वो वहाँ से चला जाएगा.... पर वो अपने
पति के ही पलंग पर उससे चुड़वाना नही चाहती थी... फिर उसे
ख़याल आया की दोनो को चुदाई के लिए कितनी जगह लगेगी.. इसलिए
उसने हां कर दी. कमरे मा आकर राज पलंग पर पीठ के बल लेट
गया.. उसका लंड हवा मे तन कर खड़ा था.

"अब मेरे उपर आ जाओ और आज तुम मुझे चोदो" राज ने उसे अपनी और
खींचते हुए कहा.

महक ने अपना गाउन उत्तारा और राज की टाँगों के बीच आ गयी... फिर
अपनी दोनो टाँगो को उसके अगल बगल रख वो उसके पॅट पर तोड़ा सा
खड़ी हुई.. उसके लंड को पकड़ा और अपनी चूत के मुँह पर लगा उसपर
बैठती चली गयी.. राज का लंड उसकी चूत की दीवारों को चीरता
हुआ अंदर घुस गया. महक की गॅंड जब राज के अंडकशों से टकराई तो
वो गोल गोल घूम उसके लंड को अपनी चूत मे महसूस करने लगी.

राज ने उसके दोनो कुल्हों को पकड़ा और आगे पीछे करते हुए अपने लंड
को अंदर बाहर कर रहा था.... थोड़ी ही देर मे महक की उत्तेजना
बढ़ने लगी.. वो उछाल उछाल कर धक्के मारने लगी... वो उपर उठती
और ज़ोर से नीचे बैठते उसके लंड को अपने चूत मे अंदर तक ले
लेती.

"हां चोडो मुझे अपने इस घोड़े जैसे लंड से .. ओह हाआँ और मुझे
बताओ किटिनी बड़ी रंडी हूँ मे.. ओह हां चोडो... जब तुम मुझे
रांड़ कहते हो तो में और गरम हो जाती हूँ."

राज को भी महक के मुँह से ऐसी बातें सुनने मे मज़ा आता था.. वो
उससे कुछ कहने ही वाला था की तभी फोन की घंटी बाज उठी..
महक ने उसके लंड पर उछालना बंद किया और अपना सेल फोन उठा
कर आइडी देखने लगी.

"हे भगवान नही... " मेरे पति का फोन है. " उसने डरी हुई आवाज़
मे कहा.

राज की आँखों मे शैतानी चमक आ गयी.. "उसे जवाब दो.. उससे
बात करो.. तुम उससे बात करो उस वक्त में तुम्हे चोदना चाहता
हूँ ." राज ने उससे कहा.

तभी फोन की घंटी फिर बाज उठी..

"नही में उससे बात नही कर सकती.. वो समझ जाएगा की कुछ
गड़बड़ है." महक सहमी हुई सी बोली.

"ठीक है.. तो में जा रहा हूँ.." राज ने कहा.

तीसरी घंटी बाजी.

महक की चूत मे आग लगी हुई थी.. वो राज के लंड को चोद नही
सकती थी.. उसे पता था की वो पकड़ी जाएगी.. लेकिन उसकी हालत ऐसी
थी की आज चुड़वाने के लिए वो कुछ भी कर सकती थी.. कोई भी
जोखम उठा सकती थी.

"ठीक है जैसा तुम कहोगे में वैसा ही करूँगी." आख़िर तक कर
महक ने जवाब दिया.

जब चौथी घंटी बाजी तो उसने फोन उठा कर 'हेलो' कहा.

"हां बोलो" उसने कहा और राज के लंड को पकड़ अपनी चूत से
लगाया और उस बैठ गयी.

महक फोन पर अपने पति की बातें सुनती रही और आगे पीछे हो
उसके लंड पर धक्के मारती रही.

"उम्म्म्मम" वो फोन पर जवाब देती रही.... राज ने तभी उसकी
चुचियों को ज़ोर से मसल उसके निपल को भींच दिया.

"उईईइ माआ." वो ज़ोर से दर्द मे चीख पड़ी...

"कुछ नही जान वो क्या थोड़ा काम करते वक्त उंगली मे सुई चूभ
गयी.... हां में ठीक हूँ."

राज ने फिर उसकी चुचि को मसला तो महक ने अपने होठों को भींच
लिए जिससे की चीख ना निकले.... महक अब धीरे धीरे उछाल कर
धक्के लगा उसके लंड को अपनी चूत मे ले रही थी.... और अपने पति
से फोन पर बात करती जा रही थी..

फोन पर वो 'ह्म्म..... उम्म्म्म" कर उसका जवाब दे रही थी.

राज ने उसकी चुचियों को एक बार फिर मसला और महक ने अपने होठों
को चबाते हुए बड़ी मुश्किल से अपनी चीख को रोका.. वो उछाल उछाल
कर उसके लंड को अपनी चूत मे ले रही थि.आप्ने पति से फोन पर
बात करना और साथ ही अपने यार से चुड़वाना... एक अनोखा मज़ा
महक को आ रहा था..

"ठीक है जान में में शाम को तुम्हारा इंतज़ार करूँगी.. आइ लव
योउ टू डियर." कहकर महक ने फोन रख दिया.

"सही में तुम इस संसार की सबसे बड़ी छिनाल हो... अपने पति से
फोन पर बात करते हुए उसके ही बिस्तर पर मुझसे चुड़वा रही हो...
तुम्हे डर भी नही लगता की कहीं पकड़ी गयी तो?" राज ने कहकर उसे
अपने उपर से उत्तर घुटनो के बाल कर दिया और खुद उसके पीछे आ
गया.

राज ने जो कहा वो सही नही था.. उसके मान मे डर छुपा था.. वो
पकड़ी जाना नही चाहती थी... पर वो अपनी इस चूत का क्या करे
जिसकी प्यास बुझाए नही बुझ रही थी.. उसकी चूत उस ज़मीन के
जैसे हो गयी थी की जितना पानी से सींचो उतनी ही प्यासी होती जा
रही थी.

महक ने अपनी गंद हवा मे उठा दी... और राज से कहा की जैसे एक
कुत्ता कुटिया को चोदता है वो उसे वाइज़ ही चोदे... राज ने उसके
कुल्हों को अपने हहतों मे पकड़ा और एक ज़ोर का धक्का मार अपना लंड
उसकी चूत मे पेल दिया. महक मचल उठी... उसकी चूत मे खुजली
और बढ़ने लगी...

"हाआँ ऐसे ही ओह मा ओ हां और ज़ोर से चोडो मुझे ओ आऊऱ
ज़ोर से घुसा दो अपने लंड खो मेरी चूत मे... ओह में तॉ गयी....."
वो चिल्ला उठी.

राज ज़ोर ज़ोर के धक्के मार उसे चोद्ता रहा... मेआःक मचल मचल कर
उसके लंड को लेती रही... तभी उसका बदन जोरों से कंपा और उसकी
चूत झड़ने लगी.

महक की चूत जब झाड़ गयी तो राज ने उसे घूमने कहा, "चल
कुतिया अब मेरे लंड को चूस और इसका सारा पानी पी जा












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