Saturday, June 12, 2010

बुझाए ना बुझे ये प्यास--12

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बुझाए ना बुझे ये प्यास--12

महक अपने बाथरूम मे शोवेर के नीचे खड़ी नहा रही थी. वो उन
निशानो को मिटाने की कोशिश कर रही थी जो थोडी देर पहले हुए
हादसे मे उसके बदन पर गिरे थे. तभी उसके पति ने बाथरूम का
दरवाज़ा खोल अपने आने के बारे मे उसे बताया.

"में बस दो मिनिट मे आई." उसने जवाब दिया.

महक ने फिर साबुन की टिकिया उठाई और अपने शरीर पर मलने
लगी. जब उसके हाथ उसकी चुचियों पर पहुँचे तो वो उन्हे अची
तरह सब्बुं के झाग से मलने लगी, फिर अपने साबुन से भर हाथ
अपनी चूत पर ले गयी और मसल्ने लगी. एक बार फिर मीठी सी लहर
उसके बदन मे दौड़ गयी. वो उस समय को याद करने लगी जब राज का
लंड उसके मुँह के अंदर बाहर हो रहा था और वो अपनी चूत को मसल
रही थी. छूट मसल्ते मसल्ते उसके मुँह से सिसकारी निकाल पड़ी.

अचानक उसे याद आया की उसका पति बाहर कमरे मे है, उसने जल्दी से
अपने बदन को धोकर पौंचा. वो एक रोब पहन बाहर आने लगी तो
उसे लगा की राज के ख़यालों से ही उसकी चूत गीली हो चुकी थी.

महक जब अपने बेडरूम मे पहुँची तो देखा की उसका पति कपड़े उत्तर
रहा था. उसे देख वो बीच मे ही रुक गया और उसे चूमने के लिए
उसकी और बढ़ा. महक ने भी अपना रोब खोल दिया. वो घूर कर महक
को देखने लगा, ऐसा नही था की उसने उसे इस तरह पहले कभी नही
देखा था, लेकिन वो एक हफ्ते से घर से बाहर था और वो उसे चोदने
के लिए बेताब था.

उसने महक को अपनी बाहों मे भरा और चूमने लगा. थोडी देर
चूमने के बह उसने उसे बिस्तर पर लिटाया और उसके बदन को चूमने
लगा. महक भी उसका साथ देने लगी और उसे चूमने लगी. थोडी देर
तक दोनो एक दूसरे के शरीर से खेलने के बाद उसका पति उसकी टांगो
को फैला उस पर चढ़ गया.

उसका पति ने एक हुंकार भरते हुए अपने लंड को उसकी चूत मे डाल
दिया उर जल्दी जल्दी अंदर बाहर करने लगा. महक शनिवार की शाम
की घटना को याद करने लगी जब राज ने किचन मे उसकी चूत को
चोदा था. उसकी चूत गरम होने लगी थी और शरीर मे उत्तेजना
बढ़ने लगी थी. आज कई सालों मे पहली बार उसे पति के साथ चुदाई
करते हुए अक्चा लग रहा था.

उसकी चूत ने उबाल खाया ही था की उसने देखा की उसक पति ने एक
झटका देते हुए उसकी चूत मे पानी छ्चोड़ दिया था. उसने उसे चूमा
और कहा की वो नहाने जा रहा है.

बरसों की तरह आज एक बार फिर उसका पति उसे तड़प्ता हुआ छ्चोड़ कर
चला गया था, उसकी चूत हमेश की तरह आज फिर प्यासी रह गयी
थी......

महक बिस्तर पर झल्लाई हुई लेती थी. उसके पति का वीर्या अभी भी
उसकी चूत से बह रहा था. वो अपनी चूत का पानी छुड़ाना चाहती थी
और अभी इसी वक्त झड़ना चाहती थी.... वो जोरों से अपनी चूत को
मसल्ने लगी. दूसरे हाथ से वो अपनी चुचियों को भींचने लगी.

वो ख़यालों मे फिर राज को याद करने लगी... किस तरह उसका लंड
उसके मुँह के अंदर बाहर हो रहा था... वो किस तरह उसके साथ गंदी
बातें कर उसे गरमा रहा था ....उसके वीर्या के स्वाद को याद कर
रही थी जो उसने अपनी ही चुचि पर से चाता थ......उसक अंदर
की गर्मी भदने लगी थी और वो जोरों से अपनी चूत और चुचि को
मसल्ने लगी. अपने कुल्ह उठा अपनी चूत को अपने ही हाथों पर दबाने
लगी...... चूत मे उबाल बढ़ने लगा था की उसे बाथरूम का दरवाज़ा
खुलने की आवाज़ सुनाई दी.

'नही अबी नही...." उसने सोचा, "में अभी नही कर सकती वो सुन
लेगा.... मुझे देख लेगा.... क्या सोचेगा मेरे बारे मे...." सोचते
हुए महक ने अपनी चुचि और चूत को मसलना बंद कर दिया. पहले
से भी ज़्यादा खिज आ रही थी उसे अपने आप पर. ' रात को सोने से
पहले में एक बार ज़रूर उनसे चड़वौनगी." उसने सोचा.

करीब एक घंटे बाद खाना खाकर दोनो बिस्तर पर लेट सोने की
तय्यरी कर रहे थे. महक की चूत अभी भी प्यासी थी, उसकी चूत
मे खुजली मच रही थी. वो पति की चादर मे घुस गयी और उससे
सट्टे हुआ अपना हाथ उसकी जाँघो के बीच रखते हुए उसके मुरझाए
हुए लंड पर रख दिया.

वो तो अपना सिर चादर के अंदर कर उसके लंड को अपने मुँह मे ले
चूसना चाहती थी, और तब तक चूसना चाहती थी की उसका लंड
खड़ा नही हो जाता और फिर उसपर चढ़ चोदना चाहती
थी......... ...... लेकिन उसे पता था की उसके पति को शायद ये
अक्चा ना लगे और शायद उसे कुछ शक़ होने लगे की जो काम उसने
इतने बरसों मे नही किया था आज अचानक क्या हो गया... इसलिए सिर्फ़
उसके लंड को मसल्ने लगी जिससे की वो फिर से खड़ा हो जाए.

"जान क्या कर रही हो?..... अभी नही.... मूड नही है...." कहकर
उसके पति ने उसका हाथ अपने लंड पर से हटा दिया.

इससे महक की झल्लाहट और बढ़ गयी, एक गहरी सांस लेकर उसने
करवट बदली और मुँह घूमा कर सोने की कोशिश करने लगी. करीब
एक घंटे बाद भी जब उसे नींद नही आई तो वो उठी और हॉल की
तरफ बढ़ गयी. उसने टीवी देखने का मन बना लिए जिससे की तक कर
उसे नींद आ जाए.

महक को टीवी देखते थोडी ही देर हुई थी की उसके सेल फोन की घंटी
बाज उठी... उसने घड़ी की तरफ देखा.. 12.30 बाज चुके थे... इतनी
रात गये कौन फोन कर सकता है... उसने सेल फोन मे देखा और
राज के नंबर को पहचान गयी. जहाँ उसका मन खुशी से झूम उठा
वहीं उसके बदन मे डर की भी लहर छा गयी
"हेलो?"

"क्या पहन रखा है मेरी जान?" जवाब आया.

राज की अव्वाज़ सुनते ही वो झूम उठी और अंजनी खुशी मे उसके निपल
तन खार खड़े हो गये और उसकी चूत मे चीटियाँ रेगञे लगी. उसे
याद आया की उसका पति बगल के कमरे मे ही सोया हुआ है.... वैसे
तो वो गहरी नींद सोता था लेकिन नही वो चाहती थी की उसे कुछ पता
चले.

"तुम इस समय इतनी रात को क्यों फोन कर रहे हो... तुम्हे पता है
ना की मेरे पति घर मे ही है..." उसने कहा.

"तो धीरे धीरे जवाब दो ना. .... चिल्लाने की क्या जर्रोरत है.."
उसने जवाब दिया, "हां अब बताओ मेरी छीनाल रांड़ ने क्या पहन रखा
है?"

राज हद से आगे बढ़ रहा था... लेकिन उसे इस तरह की बातें आची
लगने लगी थी वो उसे माना भी तो नही कर सकती थी.... उसने धीरे
से प्यार से जवाब दिया...." सिर्फ़ नाइट गाउन."

"ओह्ह्ह अक्चा? उसने पूछा, "क्या तुम्हारे पति ने तुम्हे इन्ही कपड़ों मे
चोडा था.?"

"नही.... जब तुम चले गये और में शवर से निकाली तब उसने
मुझे चोडा था..." उसने जवाब दिया.

"बड़ी छिननल हो तुम? उसने उसके साथ खेलते हुए कहा, "पहले तो
तुमने मेरे लॉड को चूसा और फिर मुझे अपना वीर्या तुम्हारी कूचियों
पर डालने दिया और फिर थोडी देर बाद ही पति से चुडा लिया."

"हां" महक ने शरमाते हुए जवाब दिया. राज की ये गंदी बातें उसे
और उत्तेजित कर रही थी... चूत गीली हो चुकी थी और उसे रस
उसकी जाँघो तक बह रहा था......... उसने उसे अभी छिनाल कहा था
और वो गुस्सा होने की बजाई उसकी बात सुनकर उत्तेजित हो गयी थी....
ये लड़का तो उसे बिना चोदे ही उसका पानी छुड़वा देगा...."

"उसने तुम्हारी जमकर चुदाई की की नही?" उसने फिर पूछा.

"हां" उसने झूट बोला.

"क्या तुम्हारी चूत ने पानी छोडा?" उसने पूछा.

"नही" उसने धीरे से कहा.

"फिर तो उसने त्म्हरी जाम कर चुदाई नही की है ना?"" उसने फिर
पूछा.

महक शरम के मारे कोई जवाब नही दे पाई, एक अंजान लड़के से
कैसे कहती की हर रात उसका पति उसे चोदता तो है लेकिन उसकी प्यास
नही बुझा पता है.... वो सिर्फ़ हुम्म कर के रह गयी.

"अगर तुम्हारा पानी नही छूटा तो फिर उसे चोदना नही आता, में
सही कह रहा हूँ ना?"

उसने फिर कोई जवाब नही दिया और चुप चाप अपनी गर्म साँसे फोन के
रेसीएवेर पर छोड़ती रही.

"जान मेरी मेने एक सवाल पूछा है... उसका जवाब दो ना... देखो
मेने तुम्हे छोडा तो तुम्हारी चूत ने पानी चोदा... तुम्हारे पति
तुम्हारी चूत का पानी नही चूड़ा पाया इसका मतलब है की वो तुम्हे
ठीक से नही चोद्ता.... में सही कह रहा हूँ ना? इसका मतलब ये
यही के तुम्हारे पति के मुक़ाबले में तुम्हारी आक्ची चुदाई करता
हूँ." उसने आत्मविश्वास से कहा.

महक जानती भी थी और महसूस भी कर चुकी थी की राज उसके पति
के मुक़ाबले कहीं बेहतर चुदाई करता था.... और राज भी ये बात
जान चुका था.... पर वो ये बात राज से ये बात कबूल करना अपने
पति से बेवफ़ाई करने जैस होगा इसलिए वो फोन पकड़े चुप चाप
बैठी रही..... इस उमीद मे की राज इस विषय को बंद कर वापस
अपनी हरकतों पर आ जाए उससे गॅंड गंदी बातें करे.

"अगर तुम मेरी बात का जवाब नही देना चाहती हो..तो हमारे बीच
और कोई बात करने को कुछ नही बचा है... जब तुम्हे लगे की तुम
जवाब दे सकती हो उस दिन मुझे फोन कर लेना..." उसने बड़ी बेरूख़ी
से कहा.

"ऩही.. नही फोन मत रखना.." वो फोन लगभग चिल्ला पड़ी. तभी
उसे एहसास हुआ की उसकी आवाज़ सुनकर कहीं उसका पति ना जाग
जये.....इस्लिये वो फोन पर धीरे से बोली.... "हां तुमने मुझे
मेरे पति से कहीं ज़्यादा अकचे तरीके से चोदा ये बात मनती हूँ."

"ये हुई ना बात मेरी छिनाल रंडी... मुझे विश्वास नही होता की तुम
इतनी छीनाल भी हो सकती हो... एक दिन मे इतनी बार... पहले में....
फिर पति के साथ... फिर वापस मेरे साथ फोन पर.. तुम्हे रंडी
बनना अच्छा लगता है ना?" उसने फिर आत्मविश्वास से कहा.

महक की समझ मे नही आया की राज की बात का क्या जवाब दे लेकिन
हां उसने महसूस किया की उसे इन सब मे मज़ा आ रहा है और वो सही
मे छिनाल बनने मे आनंद आ रहा है. बहोट कुछ खोया है उसने
अपनी जिंदगी मे अब वो एक छीनाल बनकर.... एक रंडी की तरह जिंदगी
के मज़े लूटना चाहती है.. राज ने उसकी सोई हुई बावनाओं को जगा
दिया था... जो कुछ उसने एहसास कराया था उसमे अलग ही आनंद छिपा
था.....

"हां मुझे तुम्हारे साथ इन सब बातों मे मज़ा आता है... में
तुम्हारी छिनाल रांड़ हूँ..." शब्द तो उसके मुँह से निकाल रहे थे
लेकिन असर उसकी चूत पर हो रहा था











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