Saturday, June 12, 2010

बुझाए ना बुझे ये प्यास--3

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बुझाए ना बुझे ये प्यास--3

क्लब पहुँच कर वो प्रोग्राम की तयारि करने लगी.. तभी उसने देख
की रजनी आ रही है तो वो रुक गयी. उसे देखते ही उसके बदन मे
सिरहन सी दौड़ गयी... रजनी के साथ बीताए पल वो भूली नही
थी... सूकी चूत मे हलचल होने लगी.... उसने देखा की रजनी रूम
के बीचों बीच खड़ी होकर सबको हुकुम दे रही थी.

रजनी एक काले रंग की ड्रेस पहन रखी तो जो काफ़ी छोटी थी..
उसके जन्घे तक बड़ी मुस्किल से ढाकी हुई थी.... उसके चूतड़ की
गोलाइयाँ दीखाई पड़ रही थी... महक का दिल कर रहा था की वो उसी
समय रजनी पर टूट पड़े.. लेकिन महॉल नही था...

थोडी देर बाद रजनी महक के पास आई और उसे गले लगा 'हेलो'
कहा. महक भी उसे जवाब दे वापस अपने काम मे लग गयी. पूरी रात
प्रोग्राम के बीच रह रह कर महक रजनी को घूरती रही.. वो अपने
ख़यालों मे सोचती रही की अगर मौका लगेगा तो रजनी के साथ ये
करूँगी.. वो करूँगी..

थोडी देर बाद महक लॅडीस रूम मे गयी जिससे थोड़ी शांति मिल
सके... वो वॉश बेसिन पर खड़ी थी की उसने दरवाज़ा खुलने की आवाज़
सुनी... उसने ध्यान नही दिया और अपनी गर्दन को टवल से पाहुँचती
रही.. तभी उसने निगाह उठाई तो देखा रजनी उसके पीछे खड़ी थी.

"है मेरी जान कैसी हो?" रजनी उसके कन मे धीरे से बोली और अपनी
चुचियों को उसकी पीठ से रगड़ने लगी. .. में देख रही थी की
तुम्हारी निगाहें मुझ पर ही टिकी हुई थी.. लगता है कुछ दिन पहले
जो तुम्हे मुझसे मिला था वो तुम्हे फिर से चाहिए?

महक कोई जवाब नही दे पाई.. रजनी के छूते ही उसकी चूत गीली
होने लग गयी थी.. रजनी के शब्द उसके जज्बातों को भड़का रहे
थे... वो वैसे ही वहाँ खड़ी रही.. रजनी ने अपना हाथ आगे किया
और उसकी स्कर्ट के अंदर डाल उसकी जांघों को सहलाने लगी.. फिर उसका
हाथ महक की चूत तक पहुँच गया.

"पेंटी नही पहनी हो ना? बड़ी शैतान हो... क्या करूँ में तुम्हारा?"

महक बिना हीले दुले वैसे ही खड़ी रही.. कोई भी किसी भी समय
टाय्लेट मे आ सकता थ....वो पकड़े जाएँगे.. और उसका पति ज़रूर
उसे चोद देगा... लेकिन उसे कहाँ अपने पति की पड़ी थी....

रजनी ने धीरे से अपनी उंगली उसकी चूत मे घुसा दी... महक सिसक
पड़ी.... और उसका सर पीछे होकर रजनी के कंधों पर झुक गया.

"तुम तो पूरी तरह से गीली हो गयी हो... क्या बात है मेरे बारे मे
सोच रही थी क्या.. क्या में तुम्हारी चूत को गीला कर देती हूँ."

महक ने अपनी गर्दन हिला दी और सीस्सकने लगी.

अचानक दरवाज़ा खुला... रजनी ने घबरा कर अपनी उंगली उसकी चूत
से बाहर निकाल ली और उसके स्कर्ट को चोद दिया... वो महक के बगल
मे वॉश बेसिन पर खड़ी हो गयी और अपना मेक उप ठीक करने
लगी... थोड़ी देर बाद जो अंदर आया था वो वापस चल गया... तो
रजनी ने अपनी उंगली महक के होठों पर रख दी. . महक अपने ही रस
से भीगी उंगली को चूस अपने रस का स्वाद लेने लगी.

"कोई भी बहाना कर मुझे मेरे ऑफीस मे पाँच मिनिट मे मिलो..
मुझे इंतेज़ार मत करवाना.." कहकर रजनी वहाँ से, महक की गीली
चूत को तड़प्ता छ्चोड़ वहाँ से चली गयी.

महक अपने कपड़े ठीक कर वापस भीड़ मे आ गयी.. वो अपने पति से
बोली की उसे रजनी की ऑफीस मे कुछ उसकी मदद करनी है.. इसलिए
थोड़ी देर मे आएगी.. वो हॉल से निकाल रजनी की ऑफीस की और चल
दी. दरवाज़े पर दस्तक देकर वो अंदर आ गयी... तो देखा की रजनी
ने अपने कपड़े उत्तर दिए थे और टेबल का सहारा लिए खड़ी थी.

"अपने कपड़े उतारो." रजनी ने महक से कहा.

महक ने अपने ब्लाउस के बटन खोल दिए.. फिर अपनी स्कर्ट को खोल
नीचे गिरा दिया.. उसकी सफाई से तराशि हुई चूत नज़र आने लगी.

"यहाँ आकर मेरी चुचियों को चूसो." रजनी ने महक को आदेश
दिया.

महक रजनी के पास आ गयी.. उसकी चुचियों को अपने हाथो मे पकडा
और झुक एक एक कर उसके निपल को चूसने लगी.. वो एक निपल को
चूस्ति तो दूसरी चुचि को मसालती.. यही क्रिया वो बारी बारी से
उसकी चुचियों के साथ करने लगी.

"इन्हे अपने दांतो से काटो ओह्ह्ह्ह:

महक ने उसके निपल को अपने दन्तो के बीच ले ज़ोर से काट दिया...
रजनी को मज़ा आने लगा वो अपनी चूत को मसल्ने लगी.

"हाआँ ऐसे ही ओह काटोओओओ और ज़ोर से कतो में झड़ना चाहती
हूँ."

महक ज़ोर ज़ोर से उसकी चुचि को मसल्ने लगी.. दंटो के भींच ले
काटने लगी... रजनी अपनी चूत को जोरों से मसल रही थी... उसकी
चूत झड़ने ही वाली थी..

महक और जोरों से चूस्ति रही की तभी रजनी का बदन कंपा और
उसकी चूत ने पानी छ्चोड़ दिया.. जब वो शांत हुई तो उसने महक को
पीछे हटा दिया और बोली.

"खिड़की के पर्दे खोल दो."

महक ने खिड़की के पर्दे खोल दिए... खिड़की से नीचे का हॉल सॉफ
दीखाई दे रहा था.. कमरे मे अंधेरा था इसलिए कोई बाहर से नही
देख सकता था लेकिन कमरे से नीचे का नज़ारा सॉफ दीखाई दे रहा
था.. महक डर गयी की कहीं कोई देख ना ले.

"तुम डरो मत महक नीचे से कोई कुछ नही देख पाएगा.. वैसे भी
सब अपने आपमे मस्त है... अब में क्या करूँ तुम्हारा मेरी जान...
ऐसा करो तुम अपना चेहरा खिड़की और कर के झुक जाओ."

महक पर्दों के पीछे से निकली और अपने दोनो हाथों को खिड़की पर
रख नीचे झुक गई उसूने अपनी टाँगे फैला दी... और रजनी का
इंतेज़ार करने लगी... रजनी उसके पीछे आ कर उसकी गोरी और चिकनी
गॅंड को सहलाने लगी.

उसकी गॅंड को सहलाते सहलाते रजनी ने अपनी उंगली उसकी चूत मे
घूसा दी.

"अपने यार के बारे मे बताओ मुझे महक.. में जानना चाहती हूँ की
वो तुम्हे कैसे चोदता है.?' अपनी उंगली को उसकी चूत के अंदर बाहर
करते हुए वो पूछी.

महक सिर्फ़ सिसक कर रह गयी और उसने अपनी गॅंड को पीछे कर उसकी
उंगली को और अंदर ले लिया.. रजनी अपना एक हाथ आगे कर उसकी
चुचियों को मसल दिया.
"बताओ मुझे" रजनी थोड़ा ज़ोर से कहा.

"क्या बताओं रजनी वो बहोत अछा है... उसका लंड इतना मोटा और लंबा
है जब वो मेरी चूत और गॅंड मारता है तो में पागल सी हो जाती
हूँ... वो मुझे छीनाल रंडी सब कुछ कह कर बुलाता है.. और में
और ज़्यादा गरम हो उससे चुडवाटी हूँ."

"वहाँ नीचे हॉल मे अपने पति को देखो और उससे कहो की तुम्हारा
यार कैसे तुम्हे चोद्ता है.. तुम्हे उसका लंड कितना अछा लगता
है... अपनी गॅंड मे उसका लंड लेने लिए तुम हमेशा तय्यार रहती
हो." रजनी ने उसे आदेश दिया और अपनी उंगली को उसकी चूत से बाहर
निकाल लिया.

"ओह्ह्ह मेरे राज मुझे राज का लंड बहोत पसंद है... क्या मस्त चुदाई
करता है वो.... तुम्हारी पत्नी की चूत और गॅंड मार वो उसे पागल
बना देता है.. में तो तरसती रहती हूँ उसके लंड के लिए." महक
ने जवाब दिया.

रजनी अपनी दो उंगलियाँ उसकी गॅंड के काले छेड़ मे गुसा दी.. "क्या इस
तरह? तुम्हे गॅंड मे लंड अछा लगता है ना? तुम वो रंडी हो जो अपने
यार का लंड अपनी गॅंड मे लेना चाहती है.."

"हां मुझे गांद मे लंड बेहोट अछा लगता है" महक सिसक कर बोल
पड़ी.

"अपने पति को बताओ की तुम्हे मेरी चूत चूसना कैसा लगता है."
रजनी ने फिर कहा.

"मुझे वो भी बहोत पसंद है जान.. मुझे रजनी की चूत बहोत
अछी लगती है.. उसकी चूत कितनी स्वादिष्ट है.." रजनी अब उसकी
चूत को ज़ोर ज़ोर से मसल रही थी.. और महक इन सब बातों से
गरम हो झड़ने के लिए तय्यार थी.

"उसे बताओ की तुम्हे छीनाल... रन्दि...केह्कर बुलाना कितना अछा लगता
है..." रजनी ने फिर कहा.

"हां में छीनाल रंडी हूँ, जब वो मुझे छीनाल बुलाता है.. तो
मुझे बहोत अछा लगता है.. रजनी भी मुझे छीनाल बुलाती है तो
मेरी चूत गीली हो जाती है.. मेरी चूत मे आग लग जाती है.. ओह्ह्ह्ह
रजनी मेरी चूत पानी छोड़ने वाली है.. " अब वो ज़ोर ज़ोर से चिल्ला
रही थी.

तभी रजनी ने उसकी गॅंड मे से अपनी उंगलियाँ निकाल ली.

"मुझे तुम्हारे यार के बारे मे और बताओ.. उसके लंड के बारे मे
बताओ." रजनी ने कहा.

"बहोट ही प्यारा और सुंदर लंड है.. मुझे उसके लंड को चूसना
बहोत अछा लगता है.. जब वो अपने लंड को मेरे गले तक डाल कर
अपने पानी की पिचकारी छोड़ता है... तो में पागल सी हो जाती हूँ..
मुझे ऐसा लगता है की मेरी बरसों की प्यास बुझ गयी है.. मुझे
उसके पानी का स्वाद भी बहोत टेस्टी लगता है."

रजनी ने अपनी तीन उंगलियाँ उसकी चूत मे घुसा दी.. "तुम झड़ना
चाहती हो?" रजनी ने पूछा.

"हाआँ हाआँ" महक गिड़गिदा उठी.

"में तुम्हारा पानी छुड़ा दूँगी अगर तुम मुझे अपने यार से मिलवा
दो.. में दोनो को चुदाई करते देखना चाहती हूँ, में चाहती हूँ
की वो मुझे चोद्कर मेरी चूत को फाड़ डाले... क्या तुम मुझे उसे
मिलवावगी?" रजनी ने कहा.

महक की चूत मे तो आग लगी हुई थी.. झड़ने के लिए वो उसकी हर
बात मानने के लिए तय्यार थी.. उसने कहा, "हां तुम उससे मिल सकती
हो.. प्लीस मेरा पानी छुड़ा दूओ में झड़ना चाहती हूँ... मुझसे
बात करो.. मुझे रंडी छीनाल सब कह कर पुकारो.. मुझे अछा लगता
है." महक गिड़गिदा कर बोली.

"हां महक तुम बहोत बड़ी रंडी हो.. यहाँ मेरे ऑफीस मे नंगी
खड़ी होकर नीचे अपने पति और क्लब के सभी मेंबर को देख रही
हो.. और मेरी उंगलियाँ तुम्हारी चूत के अंदर बाहर हो रही है....
तुम सही मे छीनाल हो... दीखाओ अपने पति को की जब एक रंडी झड़ती
है तो कैसी दीखती है... " रजनी उसकी चूत मे ज़ोर से उंगली आंड्रा
बाहर करते हुए बोली.

महक की चूत इतनी ज़ोर से अकड़ रही थी की वो ज़ोर से सिसकना चाहती
थी की सब उसकी चीख सब सुन सके... उसका बदन काँपने लगा..
टाँगो ने जवाब दे दिया.... और उसे हर पल का आनंद आ रहा था...
की उसकी चूत ने पानी छ्चोड़ दिया.

जब वो झाड़ गयी तो रजनी अपनी उंगलियाँ बाहर निकाल उसके मुँह मे दे
दी.. महक बड़े प्यार से उसकी उंगलियों को चूसने लगी..

अब तय्यार हो कर वापस पार्टी मे चली जाओ.. हां अपनी चूत को सॉफ
मत करना.. में चाहती हूँ की तुम्हारी चिपचिपाती चूत तुम्हे मेरी
याद दिलाती रहे.. और हां मुझे कल फोन कर के बताना की तुम
मुझे अपने यार से कब और कहाँ मिलवा रही हो." रजनी ने कहा.

महक लड़खड़ते कदमों से अपने कपड़ों के पास आई और उन्हे पहन
लिया... उसका बदन अब भी रह रह कर कांप उठता था... जैसे की
भूकंप के बाद के झटके लगते है... ढेरे धीरे चलते हुए वो
वापस हॉल मे अपने पति के पास आ गयी.
महक के जाने के बाद.. रजनी उठी और उसने अपने कपड़े पहन लिए
फिर वो टेबल के ठीक सामने की शेल्फ पर बढ़ी और उसके सामने रखी
एक तस्वीर को उठा उसके पीछे छुपे अपने डी वी डी कम रेकॉर्डर को उठा
लिया और उसका स्टॉप का बटन दबा दिया. उसने रीवाइंड का बटन दबाया
और फिर वो सब कुछ देखने लगी हो थोड़ी देर पहले उसके और महक
के बीच इस कमरे मे गुज़रा था..... वो खुश हो गयी.. और अपने आप
से कहा, "ये किसी दिन मेरे काम आएगा."

महक जब नीचे पहुँची तो देखा की उसका पति अजय गुस्सा हो रहा
था... वो बहोत ज़्यादा नाराज़ था और ये जानना चाहता था की वो
कहाँ गयी थी... महक शांत रही और उसने उसे याद दिलाया की वो
रजनी की मदद करने उसकी ऑफीस मे गयी थी. तब उसने बताया की
उसके बॉस का फोन आया था और उसे सुबह की फ्लाइट से ही बाहर
जाना है इसलिए वो घर जाना चाहता है ताकि महक उसका समान पॅक
कर दे जिससे वो सुबह की पहली फ्लाइट पकड़ सके.

मियाँ बीवी दोनो घर पहुँचे और महक ने उसका समान पॅक कर
दिया... उसके पति ने फोन पर अपनी टिकेट बुक कराई.. फिर हर
बार की तरह उसे जल्दी जल्दी चोद और सो गया... लेकिन वो एक बार
फिर महक को प्यासा चोद गया.. उसकी प्यास थी की बुझती ही नही
थी... वो तड़प रही थी..

महक का पति उसे अक्एएला और प्यासा छ्चोड़ चला गया था.. उसे अब
अपने यार के लंड की ज़रूरत थी और वो भी अभी.. उसकी चूत सुलग
रही थी.. आग लगी हुई थी उसके अंदर... उसने अपना फोन उठाया और
राज का नंबर मिलाया.... हर बार की तरह उसने जवाब नही दिया तो
उसने उसके वाय्स मैल पर मेसेज छ्चोड़ दिया.

"है जान कहाँ हो तुम... मुझे तुम्हारी ज़रूरत है.. अभी मेरी
चूत तुम्हारे लंड के लिए तड़प रही है.... जल्दी आ जाओ में
तुम्हे एक सर्प्राइज़ देना चाहती हूँ.." उसने बड़ी कामुक आवाज़ मे
मेसेज बोल फोन रख दिया.

पलंग पर लेट कर वो पीचली रात रजनी के साथ बीताए समय को
याद करने लगी.. रजनी कितनी आची थी.. वो उसे कितना खुश करती
थी.. और उसके साथ होने पर उसकी चूत पानी भी बहोत छोड़ती थी...
उन पलों को याद कर वो अपनी चूत को मसल्ने लगी.. और अपनी
चुचियों को भींचने लगी.

तभी फोन की घंटी बाजी.. महक ने उठ कर फोन उठा लिया.

"हेलो?" उसने जवाब दिया.

"है मेरी जान कैसी हो? उसे रजनी की आवाज़ सुनाई दी.. कल रत तुम
इतनी जल्दी और बिना बताए चली गयी... में कितनी देर तुम्हे
ढूंडती रही... मेना कितना कुछ सोच रखा था तुम्हारे लिए."
रजनी ने कहा.

महक ने रजनी को बताया की किस तरह उसके पति का बाहर जाने का
प्रोग्राम बन गया और उसे घर जाना पड़ा...

"तुम अपना वादा तो नही भूली हो ना... " रजनी ने पूछा.

"नही रजनी में बिल्कुल भी नही भूली." उसने जवाब दिया.. उसे याद
था की उसने रजनी को राज से मिलवाने का वादा किया था.. "मेने अभी
उसे फोन किया था.. उमीद है की आज की रात वो यहाँ मेरे पास
आएगा.. उसका फोन आने पर में तुम्हे फोन करती हूँ."

"ठीक.. है हम बाद मे बात करते है. हां मुझे ज़्यादा इंतेज़ार
मत कराना मेरी छीनाल गुड़िया.." कहकर रजनी ने फोन रख दिया.

आख़िर शाम को राज ने फोन किया.. हर बार की तरह उसने महक से
कहा की वो थोड़ा काम निबटा कर उसके पास आ जाएगा.... महक को पता
था की उसे चुदाई पसंद है खास तौर पर जॉब वो दो तीन ड्रिंक ले
लेता है... उसने तुरंत रजनी को फोन कर के बता दिया की राज रात
को आने वाला है. रजनी ने पूछा की कब तो उसने कहा की उसे पता
नही... पर वो आएगा ज़रूर.... इसलिए उसने रजनी को रात के खाने
पर बुला लिया.... उसके बाद दोनो मिलकर राज का इंतेज़ार करेंगे..

खाने की टेबल पर दोनो बात करने लगे की किस तरह महक राज से
उसका परिचय कराएगी.. सबसे अछा तरीका यही होगा की वो राज से ये
कहे की वो दोनो को चुदाई करते देखना चाहती है फिर सही समय
देख कर रजनी अपने आप को उसे पेश करेगी.. उसे विश्वास था की
दूसरी औरत को देख राज नाराज़ नही बल्कि खुश होगा.. वो तो खुद
बहोत बड़ा चोदु है.. भला उसे क्या तकलीफ़ हो सकती है...

खाना खाने के बाद दोनो ने मिलकर सफाई की और फिर हॉल मे आकर
टीवी देखते हुए राज का इंतेज़ार करने लगे... समय बीतता जा रहा था
और रजनी बैचाईन होती जा रही थी. वो बार बार राज के विषय मे
पूछती क्या वो सही मे आने वाला है.. हर बार महक उसे विश्वास
दिलाती की वो ज़रूर आएगा...

आख़िर रात के 12.00 बजने को आ गये.. अब महक को भी शक़ होने
लगा की शायद वो नही आएगा..... आख़िर 12.30 रजनी खड़ी हुई और
बोली की वो घर जा रही है.

"प्लीज़ मत जाओ ना.. राज नही आया तो क्या हुआ में तो हूँ ना.. "
महक ने बड़े प्यार से कहा.. "वैसे भी में अकेली नही रहना
चाहती."










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