Saturday, June 12, 2010

बुझाए ना बुझे ये प्यास--5

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बुझाए ना बुझे ये प्यास--5

रजनी सिसक रही थी... उसने राज के दोनो कुल्हों को पकड़ उसके लंड को अपने
गले तक लेने लगी... उसका लंड और अकड़ रहा था.. वो समझ गया
की अब उससे रुकना मुस्किल है.. .

"ळे और ळेएए.. मेरी शैतान रांड़ ळेए अपने गले मईए ळे चूस मेरा
छूटने वाला है.. ऑश हां ये ळेएएए ये आय्याअ."

रजनी और जोरों से चूसने लगी.. उसके हाथों का कसाव राज की गॅंड
पर और बढ़ गया.... राज ने अपने लंड को पूरा उसके गले तक घुसा
वीर्या छोड़ दिया.... गरम वीर्या की धार जैसे ही रजनी के गले से
टकराई वो उसे पी गयी.... राज ने अपने लंड को थोड़ा बाहर खींचा
और एक ज़ोर का धक्का मार वापस उसके गले तक डाल दिया.... उसके लंड
ने फिर पिचकारी छोड़ी... दो तीन बार राज ने ऐसा ही किया.... जब
सारा वीर्या निकल गया तो उसने रजनी को हटा दिया और सोफे पर बैठ
गया.

रजनी अपने होठों पर लगे राज के वीर्य को चाटते हुए राज के बगल
मे सोफे पर पसर सी गयी.

"सच मे तुम बहोत अछा लंड चूस्ति हो ठीक किसी 200/- रुपये की
रंडी की तरह.. " राज ने रजनी से कहा, "हम जल्दी ही मिलेंगे."

"में चाहती हूँ की तुम मुझे चोदो." रजनी ने उसे कहा.

राज जवान था इसलिए उसका लंड तुरंत ही वापस अपने पूरे आकार मे आ
गया... वो भी रजनी को चोदना चाहता था लेकिन इतनी आसानी से
नही...

"अगर तुम चाहती हो की में तुम्हे चोदु तो तुम्हे साबित करना होगा
की तुम्हारी चूत को कितनी मेरे लंड की ज़रूरत है.. मेरे लंड का
भी ख़याल करो... में चाहता हूँ की तुम अपने साथ खेलो... फिर
तुम जैसे कहोगी में तुम्हे चोदुन्गा." राज ने कहा.

रजनी तुरंत अपनी चूत को मसालने लगी.. उसने दो उंगलियाँ अपनी
चूत मे डाली और अंदर बाहर करने लगी..... दूसरे हाथ से अपनी एक
चुचि को पकड़ मसालने लगी.. कभी चुचि को उठा अपने मुँह के
पास लाती और निपल पर अपनी जीब घूमने लगती.. वो ठीक किसी
रंडी की तरह कर रही थी और राज को रिझाने की कोशिश कर रही
थी...

महक चुपचाप तमाशा देख रही थी.. जो रजनी उसके साथ इतने
प्रभावी रूप से पेश आ रही थी वही इस वक्त राज के सामने गिड़गिदा
रही थी.. राज ने उसे भी छीनाल और रंडी बना डाला था...

"तुम भी मिसिस सहगल की तरह एक रंडी एक छीनाल हो.. है ना? अपनी
चूत मे लंड लेने के लिए तुम कुछ भी कर सकती हो... मेरा लंड
तुम्हे अछा लगता है है.. इसे अपनी चूत मे लेना चाहती हो...? राज
ने रजनी से पूछा.

"हां मेरी चूत को तुम्हारे लंड की ज़रूरत है.. ये तड़प रही
है." रजनी ने जवाब दिया.

"कितना तड़प रही है.. कितनी ज़रूरत है तुम्हारी चूत को मेरे
लंड की..." राज ने फिर पूछा.

"बहोट सख़्त ज़रूरत है... अंदर जैसे आग लगी हुई है.. अंदर
चीटियाँ चल रही है.. और इस तड़प इस जलन को तुम्हारा लंड ही
बुझा सकता है.. अपने लंड इस तड़प को मिटा दो." रजनी ने कहा.

"तुम भी एक ख़ास बूढ़ी रांड़ हो... जो हर समय लंड के लिए
तड़पति रहती है.. बताओ मुझे की इस रंडी को मेरा लंड कितना अछा
लगता है.. ." राज ने फिर कहा.

रजनी की चूत ने फिर उबाल खाना शुरू कर दिया था.. वो पानी
छोड़ने वाली थी.. लंड के लिए वो कुछ भी कहने और करने को तय्यार
थी.. जैसा राज ने कहा वो कहने लगी.

"हाआँ ... हाआँ.. में वो रॅंड हूँ जिसे लंड की हर वक्त ज़रूरत
रहती है.. मुझे लंड बहोत आछे लगते है.. मुझे तुम्हारा ये मोटा
गधे जैसा लंड अपनी छूट मे चाहिए.. ओह्ह्ह्ह्ह मेरा पानी छ्छूता
कहते हुए वो सिसक पड़ी और उसकी चूत ने तीसरी बार पानी छोड़
दिया.
राज के चेहरे पर कोई प्रतिक्रिया नही थी.. वो वैसे ही खड़ा रहा
जैसे की कुछ हुआ ही ना हो.. उसने महक की और देखा और कहा.. "म्र्स
सहगल क्या तुम अपनी इस रंडी किस्म की सहेली की चुदाई देखना पसंद
करोगी?" उसने पूछा.

महक ने अपनी गर्दन हां मे हिला दी.

"इसका पूरा नाम क्या है?" राज ने पूछा.

"शर्मा, रजनी शर्मा." उसने जवाब दिया.

"ठीक है फिर यहाँ आओ और मेरे लंड को अपने हाथों से म्र्स शर्मा
की चूत मे डाल दो." राज ने कहा.

महक खड़ी हुई और राज के पास आ गयी.. राज रजनी की टांगो के
बीच झुका हुआ था.. महक ने उसके लंड को पकडा और उसे पहले तो
थोड़ी देर मसाला फिर उसे रजनी की चूत के मुँह पर लगा दिया...
जब लंड रजनी की चूत पर टीका था राज ने एक बार फिर रजनी से
कहा.

"म्र्स सहगल से कहो की तुम्हे क्या चाहिए? साली छीनाल रांड़ भीक
माँग." राज ने ज़ोर से कहा.

"ओह्ह्ह महक प्लीज़ मुझे दे दो ना... इसके लंड को मेरी चूत मे
घुसा दो." वो गिड़गिदने लगी.. उसे विश्वास नही हो रहा था की ये
एक जवान लड़का जो उससे आधी उम्र का था इस तरह उस पर हावी हो
सकता है.. हमेशा से वो ही दूसरों पर हावी होती आई थी लेकिन
आज इस लड़के ने उसे अपना गुलाम बना लिया था.. वो किसी रंडी की
तरह लंड की भीक माँग रही थी... अब उसकी समझ मे आया की महक
क्यों इसके लंड के लिए पागल रहती है... कुछ बात तो है इस लड़के
राज मे.

महक ने राज के लंड को पहले तो रजनी की चूत पर थोड़ी देर घिसा
फिर ठीक से लगा अपना हाथ हटा लिया.. उसकी चूत इतनी गीली थी
राज के एक ही झटके मे पूरा लंड अंदर चला गया. ..

रजनी खुशी से चिल्ला पड़ी.. उसे विश्वास नही हो रहा था की कोई
लंड इतना सख़्त और मोटा हो सकता है. उसे लगा की उसकी चूत की
दीवारें फट गयी.... बुड्ढे मर्दों के लंड से चुडा चुडा कर
वो किसी जवान लंड का स्वाद ही भूल चुकी थी.. और एक जवान मोटा
लंड उसे चोद रहा था.. वो पागल हो रही थी... सिसक रही थी ..

राज उसकी चूत मे धक्के मारता रहा.. "बुद्धी है तो क्या हुआ साली की
चूत है जोरदार कितनी गरम है अंदर से मज़ा आ गया" उसने अपने
आप से कहा... कितना गॅतीला बदन है इस रंडी का और लंड तो ऐसे
चूस्ति है जैसे की कोई छोटा बचा कॅंडी आइस क्रीम चूस्ता हो...
सोचते हुए राज झपाक झपाक धक्के मार उसे चोद रहा था... अब दो
बुढ़ियाँ उसकी रंडियां बन चुकी थी.. वो जब चाहे इन दोनो को चोद
सकता था.. अपने इशारों पर नाचा सकता था...

महक वहीं कुर्सी पर बैठ अपने यार को अपनी प्यारी सहेली की
चुदाई करते देख रही थी.. वो खुद गरम होती जा रही थी.. उसने
अपनी चूत मे उंगली डाल अंदर बाहर करना शुरू कर दिया...

थोडी ही देर मे रजनी को महसूस हुआ की उसकी चूत के अंदर से कोई
लावा फूटने वाला है.. उसे लगा की चूत की सभी नसे तन गयी...
उसका पूरा बदन कांप उठा और .. निढाल पड़ गयी.. उसकी गर्मी शांत
हो चुकी थी.

राज दोनो रंडियों की चूत को पानी छोड़ता देखता रहा उसका लंड खुद
तन कर रजनी की चूत मे मचल रहा था..

"हां रांड़ ले मेरे लंड को और ले. हाआँ ळे ओ मेरा भी छूटने
वाला है.." राज ने कहा.

"हां चोडो मुझे और ज़ोर से ओह चोडो श छोड दो अपने पानी को
मेरी चूत मे भर डो इसे अपने रस से.." रजनी सिसक पड़ी.

राज के दिल मे तभी एक शैतानी ख़याल आ गया उसने अपनी रफ़्तार
धीमी की और रजनी को देखने लगा... "नही तुम जैसी रंडियन को
मेरे लंड का पानी नही मिल सकता..." फिर वो महक की और घुमा...
और अपना लंड रजनी की चूत से बाहर निकाल बोला.

"मेरी छीनाल रॅंड ज़रा मेरे पास आना और मेरे लंड को ज़ोर ज़ोर से
मसल और मेरे पानी को इस दूसरी रॅंड के बदन पर छुड़ा दे. "

महक ने उसके लंड को पकडा और ज़ोर ज़ोर से मसालने लगी.. लंड रजनी
की चूत के रस से गीला और किसी लोहे की सलाख की तरह सख़्त
था... वो उसे अपनी मुति मे भर ज़ोर ज़ोर से मुठियाने लगी... राज ने
एक हुंकार भरी और उसका लंड पिचकारी पर पिचकारी रजनी के बदन
पर छोड़ने लगा.. महक असचर्या से उसके वीर्या को डेक्ति रही थी...
उसे विश्वास नही हो रहा था की कोई लंड इतना पानी भी छोड़ सकता
है.. रजनी का बदन उसके वीर्या से नहा गया.

जब उसके लंड ने एक एक बूँद रजनी के चेहरे पर, बालों पर और उसकी
चुचियों पर छोड़ दी तो राज ने महक को उसका लंड चूस कर सॉफ
करने को कहा... महक ने झुक कर उसके लंड को अपने मुँह मे लिया...
रजनी और राज के रस से भीगा लंड का स्वाद उसे अछा लगने लगा.

राज को जब लगा की उसका लंड सॉफ हो गया है तो वो खड़ा हो गया
और अपने कपड़े पहने लगा और बोला, "म्र्स शर्मा आप मेरा नंबर म्र्स
सहगल से ले सकती.. है और जब भी आपकी इस चूत मे खुजली मचे
तो मुझे याद कर सकती है." फिर वो चला गया.

दोनो औरतें सूखा का परम आनंद प्राप्त पर सोफे पर लेती थी..
तभी रजनी को लगा की शायद उसने महक पर अपना प्रभाव कम कर
दिया हो.. इसलिए अपना वर्चस्वा साबित करने के लिए उसने महक से
कहा.

"महक आओ और ज़रा मेरी चुचियों को चूसो."

महक राज के वीर्या से भरी उसकी चुचियों को चूसने लगी.. उसके
वीर्या को अपनी जीब से चाटने लगी.. उसके निप्पेल को मुँह ले चूसी तो
उन मे फिर से जान आ गयी वो फिर तन कर खड़े हो गये."

"तुम मेरी बहोत ही प्यारी छीनाल हो.... हां क्या मुँह पाया है
तुमने..

"चूवसो मेरी चुचियों कू.. हां मेरे निपल को चूसो." महक
फिर गमने लग गयी थी.

महक उसकी चुचियों को चूस थोडी देर के लिए रुक गयी.. जैसे की
काम हो गया हो.. लेकिन रजनी उसे इतनी जल्दी थोड़े ही जाने देने
वाली थी.. "रूको मत अब तुम्हे मेरी चूत चूस कर सॉफ करनी है."

महक तो जैसे खुश हो गयी.. उसे रजनी के साथ ये सब करना अक्चा
लगता था.. वो खुशी से उसकी चूत पर झुक चूसने लगी... थोड़ी
ही देर मे रजनी की चूत ने एक बार फिर पानी छोड दिया
दोनो तक कर एक दूसरे के बगल मे लेट थे... महक ने धीरे से
रजनी से कहा, "मेने कहा था ना राज का कोई जवाब नही.. "

रजनी घूम कर उसकी तरफ देखने लगी और मुस्कुराने लगी, "हन ये
तो है.. उस जैसा लंड मेने नही देखा क्या चोदता है वो लड़का.."

रात को दोनो औरतें जब महक के पलंग पर लेती थी तो रजनी ने
कहा, "तो यहीं तुम्हे अजय चोद्ता है है ना?"

रजनी की बात सुनकर महक चौंक पड़ी.. आज से पहले कभी रजनी ने
उससे उसके पति के बारे मे कोई बात नही की थी.. फिर अचानक अजय
का नाम क्यों... थोड़ी देर चुप रहें के बाद वो बोली, "हन जिस
तरह वो छोड़ता है और उसे ही चुदाई कहते है तो वो मुझे यहीं
चोद्ता है.. जितनी जलादी उसका लंड अंदर घुसता है उससे भी जल्दी
उसका लंड झाड़ जाता है"

फिर दोनो एक दूसरे को अपनी बाहों मे ले सो गये



राज के साथ हुए हादसे के बाद रजनी सोच मे पड़ गयी थी.. उसे
लगने लगा की उसका लोगों पर दबदबा ख़तम हो गया है.. उसे वो
दबदबा वापस लाना होगा.. उसके पास कई नामो की लिस्ट थी जिन्हे बुला
कर वो उन्हे अपने वश मे करती थी.. और मन चाहे वो करती थी...
उस लिस्ट मे एक ख़ास नाम था जिसे बुला उस पर हुक्म चलाना उसे अपना
गुलाम बनाना उसे अक्चा लगता था.. उसने उसे फोन लगाया.. वो ऑफीस
मे काम पर था.. तो उसने व्हन फोन किया.. उसने फोन उठाया तो
रजनी ने कहना शुरू किया.

"क्या पहन रखा है जान?" रजनी ने मादक आवाज़ मे कहा.

"तुम्हे पता है की मेने क्या पहन रखा है.." उसने झल्लाते हुए
कहा,, सिर्फ़ उसकी आवाज़ मे इतना असर था की उसका लंड उसकी पॅंट मे
उछालने लगा.

"क्या तुम्हारा लंड तुम्हे तंग कर रहा है?" उसने पूछा.

"नही." उसने झूठ कहा.. वरना उसका दिल तो कर रहा था की अभी
अपने लंड को पॅंट के बाहर निकले और मसालने लगे.

"शर्त लगा सकती हून, में जानती हून मेरी आआवाज़ ही तुम्हारे लंड
को खड़ा कर देती है.." रजनी ने उसे चिढ़ाते हुए कहा, "तुम्हे पता
है में इस समय बिस्तर पर लेट हुए अपनी उंगलियों को अपनी चूत मे
डाले तुम्हारे बारे मे ही सोच रही थी.

वो उस दृश्या की कल्पना करने लगा.. उसका हाथ पॅंट के उपर से ही
लंड को मसालने लगा...

"क्या तुम्हारा लंड खड़ा नही हुआ?" उसने पूछा.

"हन बहोत तंग कर रहा है" उसने जवाब दिया.. झूठ बोलना बेकार
था वो अपने आपको रोक नही पा रहा था.

"अपने लंड को अपनी पॅंट से बाहर निकालो" उसने आदेश दिया.

"नही में ऐसा नही कर सकता में ऑफीस मे हून." उसने जवाब
दिया.

"तुम कहाँ हो उसकी मुझे परवाह नही.. अपनी ज़िप खोलो और अपने लंड
को बाहर निकाल कर मेरे लिए मस्लो..... " अपने शब्दों के जाल से वो
उसे अपने वश मे करने लगी.

"ठीक है" उसने हार मन ली.. उसने वैसा ही किया जैसा की उसे रजनी
ने करने के लिए कहा था.. वो अपनी डेस्क के पीछे छिप गया जिससे
की अगर कोई अंदर आए तो ना देख पाए की वो क्या कर रहा है.

"क्या तुम्हारा लंड पूरी तरह टन कर खड़ा है?" उसने फिर अपनी
मादक आवाज़ मे पूछा.






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