Saturday, June 12, 2010

बुझाए ना बुझे ये प्यास--7

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बुझाए ना बुझे ये प्यास--7

"हां" उसने जवाब दिया.

"और मेरी चूत गीली हो गयी है जिसे में अपनी उंगलियों से चोद
रही हूँ." उसने कहा.

वो अपने लंड को ज़ोर ज़ोर से मसल्ने लगा और भींचने लगा.

"क्या तुम्हे नही लगता की मेरी उंगलियों की जगह तुम्हारा लंड मेरी
चूत मे होना चाहिए?' उसने फिर पूछा.

"हां... हां.. " उसने अपने लंड को जोरों से मसल्ते हुए कहा.

"तो फिर बताओ मुझे तुम मेरी ये फल जैसी चूत का रस पीने कब
आ रहे हो." उसने पूछा.

"में अपनी जीब तुम्हारी चूत मे घुसा चाटना चाहता हूँ." वो
सिसकते हुए बोला.

"क्या तुम मेरा ये रस पीना पसंद करोगे?" उसने पूछा.

"हां"

"तो फिर रात को आ जाओ." उसने कहा.

"नही... मेरी पत्नी.." उसने जवाब देना चाहा और अपने लंड को
मसलना बंद कर दिया.

रजनी को पता था की वो अपने आप को रोक नही पाएगा.. उसकी हालत ही
ऐसी थी.. उसने फिर कहा, "अपनी पत्नी से कह देना की तुम्हे ऑफीस
मे काम है.. तुम्हे मेरी चूत पसंद है ना.. तुम इसे चूसने के
लिए तरस रहे हो है ना?" उसने कहा.

रजनी सही थी.. उसे अपनी ताक़त का अंदाज़ा था. अपनी मादक और
उत्तेजञात्मक हरकतों से वो आछे आछे मर्द को बहका सकती थी.. उसकी
पत्नी एक सुखी और शांत औरत थी.. रजनी उसके अंदर एक नई जान
डाल देती थी.. उसके लंड को एक नया आकार देती थी.. और जो कुछ वो
रजनी के साथ कर सकता था वो सब कुछ उसकी पत्नी के साथ नही कर
सकता था... साथ ही ना वो अपने लड़के की मा को वो सब कुछ करने के
लिए कह सकता था.. थोडी देर बाद उसने कहा.

"ठीक है में शाम 6.30 तक आ जौंगा."

"ये हुई ना मेरे आछे सनम वाली बात.." रजनी ने कहा, "अब आछे
बचे की तरह अपने लंड को वापस पॅंट मे डालो और अपनी ताक़त मेरे
लिए बचा कर रखो.. ठीक है शाम को मिलते है."

उस शख़्स ने फोन रख दिया और फिर अपने घर अपनी पत्नी को फोन
मिलने लगा...

"हेलो?" महक ने जवाब दिया.

"हाय जान.. मुझे ऑफीस मे टूर की कुछ रिपोर्ट्स तय्यार करनी है..
इसलिए थोडी देर हो जाएगी.. इसलिए तुम खाना खा लेना और सो
जाना.. ठीक है बाद मे मिलते है."

"ठीक है डियर.. अपना ख़याल रखना," महक अपने पति की बात
सुनकर खुश हो गे थी. वो राज को बुलाने की सोचने लगी... उसने
तुरंत राज का नंबर मिलाया.

अजय ने फोन रख दिया.. उसका लंड अभी भी खड़ा था... वो अपने
लंड को मसलना चाहता था अपना पानी छोड़ना चाहता था लेकिन वो डर
रहा था की कहीं रजनी को पता चल गया तो.. वैसे भी ऑफीस मे
कोई जगन नही थी जहाँ वो पानी छोड सके. उसने अपने लंड को वापस
पॅंट के अंदर किया... और रजनी को अपने दीमग से झटक वो अपने
काम मे लग गया.

अजय से फोन पर बात करने के बाद उसने फोन रख दिया. हंसते हुए
वो किचन मे कुछ खाना बनाने चली गयी.. वो नंगी नही थी वो
पूरे कपड़े पहने हुए थी... सिर्फ़ अजय के साथ मज़ाक कर खेल रही
थी.

अजय को अपने वश मे किए रजनी को करीब एक साल हो गया था.. वो
तो उसके हुक्म का गुलाम था.. जब भी उसे किसी की ज़रूरत होती तो वो
अजय को बुला लेती.. वो एक तरह से उसकी पूजा करता थ.ऽउर रजनी
को उसके साथ खेल खेलने मे मज़ा आता था.. अजय का लंड इतना बुरा
भी नही था.. अछा ख़ासा था जो रजनी को पसंद था.. सबसे बड़ी
बात की वो चूत बहोत अची चूस्ता था...

5.00 बजते ही अजय अपनी ऑफीस से भागा और रजनी के घर की और
रवाना हो गया... उसके घर पहुँच उसने घंटी बजाई तो रजनी ने
दरवाज़ा खोला. रजनी को देखते ही अजय चौंक पड़ा.. उसने आज बड़ा
जान लेवा लीबस पहन रखा था.. वो सिर्फ़ टू पीस बिकनी मे थी..
उसकी पेंटी इतनी छोटी थी की चूत बाहर तक निकल आई थी.. वो
समझ गया की आज रजनी काफ़ी मूड मे है... वो नज़रे झुका कर उसके
आदेश का इंतेज़ार करने लगा.

"साले देख क्या रहा है.. नीचे बैठ." रजनी ने हुक्म दिया.

"हां मालकिन." उसने जवाब दिया.. और फिर अपने घुटनो के बाल उसके
सामने बैठ गया.

रजनी ने पहले दरवाज़ा बंद किया और फिर अपनी चूत उसके चेहरे के
सामने कर डी.. "अब चातो इसे."

अजय ने अपनी जीब निकाली और उसकी चूत को कपड़े के उपर से ही
चाटने लगा .. महीन कपड़े के नीचे से रजनी को अपनी चूत पर अजय
की जीब का एहसास हो रहा था..

"तुम मेरे गुलाम हो वो बहोत अछा है." रजनी ने कहा, उसकी चूत
काफ़ी गरम हो चुकी थी... उसने उसके सिर को पकडा और अपनी चूत
पर दबा दिया....

"तुम्हे मेरी चूत अची लग रही है ना?" रजनी ने पूछा.

"ऊह...उह्ह" वो सिर्फ़ गुण गुण कर के रह गया.. वो ज़ोर ज़ोर से उसकी
चूत चाटने मे लगा हुआ था.. उसका लंड पॅंट फाड़ कर बाहर आने को
तय्यार था.

रजनी की चूत रस से लबालब भर चुकी थी उसे अजय का लंड
चाहिए था... उसने अपनी चूत उसके मुँह से हटाई और उसका हाथ
पकड़ उसे अपने बेडरूम मे ले आई.. कमरे मे आते ही अजय ने बिना
कहे अपने कपड़े उत्तर दिए.. वो उसे लेका पलंग पर आ गयी और उसके
हाथ पावं उसने पलंग के चारों कोने से बाँध दिए.. वो असहाय सा
पलंग पर पसरा पड़ा था.. हाथ उपर को और टाँगे फैली हुई सब
बँधे हुए.. लेकिन उसे ये सब अछा लगता था... रजनी ने अपनी पनटी
निकाली और उसे अजय के पास आ गयी .. और फिर उसके
चेहरे के उपर अपनी जांघों को रख चढ़ गयी और उसे अपनी चूत
चूसने के लिए कहा.

"हरामी साले मेरी चूत चूस.. " उसने हुक्म दिया.. "मेरी चूत का
पानी छुड़ा.. फिर में तुझे मेरी मखमल सी चूत दूँगी चोदने के
लिए.. " कहते हुए उसने अपनी चूत उसके मुँह पर दबा डी.

अजय ने जीब निकाली और उसकी चूत के अंदर तक घुसा दी.. और उसकी
चूत से बहते शहद को चाटने लगा... रजनी अपनी चूत को उसकी
जीब पर घिसने लगी.. वो और ज़ोर ज़ोर से उसकी चूत को चूसने लगा
चाटने लगा.

"साले आज क्या हो गया है तुझे.. हरामी साले ज़रा ज़ोर ज़ोर से
चूस.... में तेरे मुँह पर अपनी चूत का पानी छोड़ना चाहती
हूँ... तुम्हे मेरे रस का स्वाद अछा लगता है ना?" रजनी ने अपनी
चूत को और उसके मुँह पर घिसते हुए कहा.

"हां हाआँ" वो इतना ही कह पाया.

अपने प्रभाव और ताक़त को देख रजनी खुश हो गयी और उसकी चूत ने
पानी छोड़ना शुरू कर दिया.. वो चिल्ला उठी.

"श हां ऐसे ही चूस ओह मेरा छूट रहा है चाट मेरे रस
को.. ऑश पी जा सारा सारा का" रजनी ने फिर उसे हुकुम दिया.

अजय खुशी खुशी उसकी चूत से बहते अमृत को पीने लगा.

रजनी अपनी चूत को और उसके मुँह पर दबा पानी छोड रही थी.. जब
उसकी चूत की गर्मी थोडी शांत हुई तो वो घूम कर उसके पेट पर
बैठ गयी.

रजनी ने फिर अपनी ब्रा भी निकाल उस पर झुक गयी.... उसके चुचि
के निपल अजय के मुँह से कुछ ही दूरी पर थे.

"साले हमेशा मेरी चुचि को देख फुदकता रहता है. अब क्या सोच
रहा हाई. चूस इसे भी." रजनी ने अपना एक निपल उसके मुँह मे
डालते हुए कहा.

अजय अपनी जीब से उसकी चुचि को चाटने के लिए आगे बढ़ायी तो
रजनी ने अपनी चुचि को पीछे कर लिए.

"तुझे मेरी चुचि बहोत पसंद है है ना?"

"हां"

"तो गिड़गिदा भीक माँग मुझसे" रजनी ने कहा.

"प्लीस मालकिन मुझे आपकी चुचि चूसने दीजिए ना... कितनी प्यारी
है... हां में इन्हे पीना चाहता हूँ." अजय ने गिड़गिदते हुए
कहा.

रजनी ने अपनी चुचि उसके मुँह मे दे दी.. और वो सुके निपल को अपनी
जीब से चाटने लगा... रजनी मदमस्त हो अपनी गीली चूत को उसके
खड़े लंड पर घिस रही थी.. वो फिर अपने पूरे वर्चस्वा पर थी..
किसी को अपना गुलाम बनाना उसे अछा लगता था.. उसने एक बार फिर अपनी
चुचि को उसके मुँह से निकाला और थोड़ा उपर हो उसके खड़े लंड को
अपनी चूत से लगा लिया.

"अब अपनी मालकिन को अची तरह चोदोगे ना?" रजनी ने उसके लंड पर
धीरे धीरे उछलते हुए कहा.

"हां हां मालकिन" अजय ने जवाब दिया.

"मुझसे पहले मत झड़ना .. हम दोनो साथ साथ पानी छोड़ेंगे..
समझे" रजनी ने फिर उससे कहा.

अजय की समझ मे नही आय की क्या कहे.. ये उसके वश की बात नही
थी.. अपने लंड को कुछ देर के लिए शांत करने के लिए वो अलग अलग
ख़याल अपने दीमग मे लाने लगा... व्हाइं रजनी उछाल उछाल कर उसके
लंड को अपन चूत मे ले रही थी.. लेकिन उसके दीमग मे तो राज का
लंड बसा हुआ था.. उसे एहसास हुआ की अजय राज के मुक़ाबले कुछ भी
नही है... राज जो धक्के मार चोद्ता है तो उसका कोई जवाब बही..
उसका लंड... श वो तड़प के रह गयी.

"चोद साले चोद मुझे क्या मरियल टट्टू की तरह धक्के लगा रहा
है. हां चोद और ज़ोर से चोद." रजनी चिल्ला उठी.. वो अपनी चूत
का पानी छुड़ाना चाहती थी और जल्दी ही छुड़ाना चाहती थी.

रजनी का इस तरह उसके लंड पर उछाल उसे चोदना और उपर से ऐसी
बातें करना .. अजय को अपने आपको रोकने मे बड़ी मुश्किल हो रही
थी...

रजनी और तेज़ी से उछाल उछाल कर ज़ोर ज़ोर के धक्के लगाने लगी..

"हां चॉड साले चॉड और ज़ोर से चॉड श हां और ज़ोर ज़ोर से" वो
फिर से चिल्लाई.. उसकी चूत पानी छोड़ने वाली ही थी.. लेकिन उसके
ख़याल मे फिर राज आ गया.. उसका लंड कितना प्यारा है.. वो अपनी
आँखे बंद कर उसके ख़याल मे खो गयी.... और उसकी चूत ने
सनसनी मची गयी..

"श हां श हां मेरा चूत रहा है." वो सिसक पड़ी.

अजय ने भगवान का शुक्रिया अदा किया.. वो अपने आपको बड़ी मुश्किल से
अभी तक रोक पाया था.. उसने अपनी कमर उठा अपने लंड को और जड़
तक उसकी चूत मे घुसाया और अपना पानी छोड दिया.

रजनी तब तक उसके लंड पर उछालती रही जब तक की उसकी चूत झाड़
कर शांत नही हो गयी. वो निढाल हो उसके बगल मे लेट गयी.. लेकिन
थोडी देर मे ही वो उसके लंड से फिर खेल उसमे जान फूँकने की
कोशिश करने लगी.

"तुम्हे पता है की इसका अब कुछ नही होने वाला" अजय ने उससे कहा.

"नही ये अभी खड़ा हो जाएगा... बस इसे कुछ मदद की ज़रूरत है"
कहकर रजनी उसके लंड को मसालने लगी
"नही कुछ नही होगा" अजय ने थोड़ा गुस्से मे कहा.. रजनी का इस
तरह ज़िद करना उसे अछा नही लगा.. रजनी के ख़याल मे फिर राज आ
गया.. किस तरह उसका लंड कुछ मिनिट मे ही फिर तन कर खड़ा हो
गया था... उसे राज के लंड की चाहत होने लगी. वो आज रात को ही
उसका लंड पाना चाहती थी.

अजय अपनी ही धुन मे था.. राज नाम का नौजवान कब उसकी बीवी और
और सूकी माशूक के दिलो दीमग पर हावी हो गया था उसे ये पता ही
नही था.

रजनी अजय के शरीर पर से उठी और उसने उसके हाथ पावं खोल
दिए.. और फिर अपना फोन लेने कमरे से चली गयी. .. फोन लेकर
वो राज का नंबर डेल करने लगी जो उसे महक ने दिया था..... उसने
जवाब नही दिया तो उसने महक की तरह मेसेज छोड दिया.

तभी अजय आया और उसने कहा की वो थोडी देर रुकना चाहता है क्यों
की उसने अपनी बीवी से कह दिया था की वो देर से आएगा.. और हो सकता
है की वो घर पर ना हो.

"तुम यहाँ नही रुक सकते... मुझे अब तुम्हारी ज़रूरत नही.. समय
ही काटना है तो किसी बार मे जाकर समय बीता लो." रजनी ने बड़ी
बेरूख़ी से कहा.

रजनी की बेरूख़ी देख अजय को गुस्सा तो बहोत आया लेकिन वो करता भी
क्या... रजनी जब मूड मे होती तो घंटों उसके लंड के साथ खेलती
और उसे वो आनंद देती जो उसे अपनी बीवी से कभी नही मिला... वो
चुपचाप वहाँ से निकल गया.

रजनी के घर से निकल अजय का मन किया की वो घर चला जाए लेकिन
क्या उसके दिल मे आया वो पास ही एक बार मे घुस गया और ड्रिंक पीने
लगा... वैसे भी ये उसके लिए अहका हुआ.. क्यों की उसी वक्त उसकी बीवी
महक उसी के पालन पर अपनी गॅंड उठाए राज के लंड को अपनी गॅंड मे
ले रही थी.

राज ने महक के फोन का जवाब इस बार थोड़ा जल्दी दे दिया.. जब उसे
पता चला की महक शाम को फ्री है तो वो अपने आपको रोक ना सके..
वैसे भी कई दिन हो गये थे महक की चूत और गॅंड मारे.. उसने
उसे फोन कर के कह दिया की वो शम्म 6.00 तक पहुँच जाएगा.

जब वो महक के घर पहुँचा तो हर बार की तरह महक ने एक सेक्सी
ड्रेस पहन रखी थी.. राज ये देख कर खुश हो गया... उसने सफेद
रंग की सिल्क की पनटी पहन रखी थी और काले रंग की ब्रा... और
उसपर काले और सफेद रंग का सॅटिन का गाउन.

"पसंद आई? ये नई ड्रेस में सिर्फ़ तुम्हारे लिए ही खरीद कर
लाई हूँ..." महक ने राज से कहा. इस बुद्धी को सही मे मर्दों को
रिझाना आता था.

राज का लंड तो महक के ख़याल से ही खड़ा था और जब उसने उसे इस
सेक्सी ड्रेस मे देखा तो वो और तन कर उसकी पॅंट के अंदर मचलने
लगा.... उसने बिना समय बिताए... उसे हॉल मे ले आया... उसे सोफे
के सहारे झुकाया... उसके गाउन को उसके कुल्हों तक उठा दिया और उसकी
पनटी को नीचे खिसका दिया....

राज ने फिर अपनी पॅंट को नीचे खिसकाई.. और अपने खड़े लंड को एक
ही धक्के मे उसकी चूत मे दल दिय.....Mएहक की चूत पूरी गीली
थी... उसे ये नही पता था की उसे मेसेज देने से लेकर अभी तक
महक अपनी उंगलियों को अपनी चूत मे डाले अपने आप से खेल रही थी.











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